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________________ सूत्र संवेदना २ लोगुत्तमाणं, लोग नाहाणं, लोग-हिआणं, लोग पईवाणं, लोग पज्जो अगराणं ।।४।। ६४ लोकोत्तमेभ्यः, लोक-नाथेभ्यः, लोक-हितेभ्यः, लोक-प्रदीपेभ्यः, लोक-प्रद्योत - करेभ्यः ।।४।। लोक में जो उत्तम हैं उनको, लोक के नाथों को, लोक का हित करनेवालों को, लोक में विशेष प्रकाश करनेवाले प्रदीपों को, लोक के प्रति प्रद्योत करनेवालों को, अभय-दयाणं, चक्खु-दयाणं, मग्ग- दयाणं, सरण- दयाणं, बोहि दयाणं । ।५ ॥ अभयदेभ्यः, चक्षुदेभ्यः, मार्गदेभ्य, शरणदेभ्यः, बोधिदेभ्यः ||५|| सर्व जीवों को अभय देनेवालों को, श्रद्धारूपी नेत्र देनेवालों को, मार्ग देनेवालों को, शरण देनेवालों को, बोधि देनेवालों को, धम्म- दयाणं, धम्म- देसयाणं, धम्म-नायगाणं, धम्म- सारहीणं, धम्म - वरचाउरंत - चक्कवट्टीणं ।।६॥ धर्मदेभ्यः, धर्मदेशकेभ्यः, धर्म-नायकेभ्यः, धर्म-सारथिभ्यः, धर्म-वर-चातुरन्तचक्रवर्त्तिभ्यः ।।६।। धर्म देनेवालों को धर्म की देशना देनेवालों को धर्म के स्वामियों को, धर्म के सारथियों को, धर्मराज्य के श्रेष्ठ चतुरंत चक्रवर्तियों को, अप्पsिहय-वर - नाण- दंसप्प-धराणं, वियट्ट-छउमाणं ।।७।। अप्रतिहत-वर-ज्ञान-दर्शन-धरेभ्यः, व्यावृत्त- च्छद्मेभ्यः ।।७।। अप्रतिहत उत्तम ज्ञान एवं दर्शन धारण करनेवालों को, छद्मरहितों को, जिणाणं जावयाणं, तिन्नाणं तारयाणं, बुद्धाणं बोहयाणं, मुत्ताणं मोअगाणं ।।८।। जिनेभ्यः जापकेभ्यः, तीर्णेभ्यः तारकेभ्यः, बुद्धेभ्यः बोधकेभ्यः, मुक्तेभ्यः मोचकेभ्यः ।।८।। जीतनेवालों को तथा जीतानेवालों को, जो स्वयं संसार से तैर चुके हैं उनको, तथा अन्य को संसार समुद्र से तैरानेवालों को बुद्धों को तथा बोध देनेवालों को, मुक्तों को तथा मुक्त करवानेवालों को ।
SR No.006125
Book TitleSutra Samvedana Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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