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जगचिंतामणी सूत्र
कोडी सहस्स नव साहू गम्मइ - साधु की संख्या ज्यादा से ज्यादा ९ हजार करोड़ अर्थात् ९० अरब की (९०,००,००,००,००३) होती है ।
जिज्ञासा : चैत्यवंदन करते समय केवली भगवंतों तथा मुनि भगवंतों को किसलिए याद करना चाहिए ?
तृप्ति : केवली भगवंत तथा मुनि भगवंत मोक्षमार्ग के अनन्य साधक हैं। केवली भगवंत उसी भव में मोक्ष जानेवाले हैं और मुनि भगवंत भी विशिष्ट प्रकार से मोक्ष की साधना कर रहे हैं, उनको याद करने से हमें भी मोक्ष की साधना में बल मिलता है, इसलिए अरिहंत को वंदन करते समय उनकी स्तुति की जाती है ।
संपइ जिणवर वीस वर्तमान काल में २० तीर्थंकर अढ़ाई द्वीप में विचरते हैं ।
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महाविदेह क्षेत्र में हमेशा चौथे आरे जैसा काल होता है । भरत - ऐरावत की तरह वहाँ कभी काल में चढ़ाव उतार नहीं होता । इसलिए वहाँ सदैव तीर्थंकर होते हैं । वर्तमान में भी जंबूद्वीप के महाविदेह में ४, धातकी खंड के दो, महाविदेह में ८ और अर्ध पुष्करवरद्वीप के दो महाविदेह में ८ ऐसे कुल २० तीर्थंकर परमात्मा विचर रहे हैं ।
मुणि बिहु-कोडिहिं वरणाण केवलज्ञानी ज्यादा से ज्यादा दो करोड़
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की
समणह कोडी - सहस्स-दुअ और वर्तमान में श्रमणों की संख्या ज्यादा से ज्यादा दो हजार करोड़ अर्थात बीस अरब (२०,००,००,००,०००) है । यहाँ यह ध्यान में रखना चाहिए कि, श्रमण छट्ठे-सातवें गुणस्थानक में रहनेवाले हैं ।
ये सब
वर्तमान में श्रेष्ठ ज्ञानवाले अर्थात् (२,००,००,०००) होते हैं ।
थुणिज्ज निच्च विहाणि जो हमेशा प्रातः स्मरणीय हैं ।
इस पद द्वारा उत्कृष्ट और जघन्य संख्या से तीर्थंकर, केवली और मुनि