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________________ ३२ सूत्र संवेदना - २ मूल सूत्र: इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! चैत्यवन्दन करूं ? इच्छं, जगचिंतामणि ! जग(ह)-नाह ! जग-गुरु ! जग-रक्खण ! जग-बंधव ! जग-सत्थवाह ! जग-भाव-विअक्खण ! अट्ठावय-संठविअ-रूव ! कम्मट्ठ-विणासण ! चउवीसंपि जिणवर ! जयंतु अप्पडिहय-सासण ! ।।१।। ___ कम्मभूमिहिं कम्मभूमिहिं पढमसंघयणि, उक्कोसय सत्तरिसय, जिणवराण विहरंत लब्भइ; नवकोडिहिं केवलीण, कोडीसहस्स, नव साहु गम्मइ । संपइ जिणवर वीस मुणि, बिहुं-कोडिहिं वरनाण, समणह कोडी-सहस्स-दुअ थुणिजइ निश्च विहाणि ।।२।। जयउ सामिय ! जयउ सामिय ! रिसह सत्तुंजि, उजिंति पहु-नेमिजिण ! जयउ वीर सञ्चउरि-मंडण ! भरूअच्छहिं मुणिसुव्वय ! मुहरि (महुरि) पास ! दुह-दुरिअ-खंडण ! अवर विदेहिं तित्थयरा, चिहुं दिसि विदिसि जिं के वि, तीआणागय-संपइय, वंदु जिण सव्वे वि ।।३।। सत्ताणवइ-सहस्सा, लक्खा छप्पन्न अट्ठकोडीओ । बत्तीस-सय-बासीयाई, तिअलोए चेइए वंदे ।।४।। पन्नरस-कोडि-सयाई, कोडी बायाल लक्ख अडवना । छत्तीस सहस असीइं, सासय-बिंबाइं पणमामि ।।५।।
SR No.006125
Book TitleSutra Samvedana Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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