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सूत्र संवेदना - २
इस प्रकार पार्श्वप्रभु के दर्शन करने से उनके प्रति भक्ति अत्यंत उल्लसित होती है, बहुमान भाव बढ़ता है और बहुमानपूर्वक बार-बार की गई भक्ति आत्मिक सुख में विघ्न करनेवाले कर्मों का विनाश करके पुण्यानुबंधी पुण्य का उपार्जन करवाती है । उससे उत्तरोत्तर चित्त की निर्मलता होने से भक्ति के लिए अनुकूल संयोगों की विशेष प्राप्ति होती है। उससे विशेष भक्ति करके आत्मा सद्गति की परंपरा द्वारा परमपद को प्राप्त कर सकती है ।
पार्श्वनाथ भगवान की स्तवना करके, अब उनके नामपूर्वक मंत्र का प्रभाव कैसा है, यह बताते हैं -
विसहर-फुलिंग मंतं कंठे धारेइ जो सया मणुओ, तस्स गहरोग-मारी-दुट्ठजरा जंति उवसामं - जो मनुष्य हमेशा विषहर फुलिंग मंत्र को कंठ में धारण करते हैं, उनके ग्रह, रोग, मारी, दुष्टज्वर आदि शांत हो जाते हैं ।
देव से अधिष्ठित हो और पाठ से जो सिद्ध हो, उसे मंत्र कहते हैं । मनन करनेवाली आत्मा का सदा रक्षण करे, वह मंत्र है। 'विसहर फुलिंग' नामक पार्श्वनाथ भगवान का यह मंत्र, धरणेन्द्र और पद्मावती से अधिष्ठित है । इस गाथा में मंत्र का मात्र नाम दिया गया है । पूरा मंत्र नहीं है। यह पूरा मंत्र “ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमिऊण पास विसहर वसह जिण फुलिंग ह्रीं श्रीं नमः" स्वरूप सत्ताइस अक्षर का बना है । यह संपूर्ण मंत्र तथा उसकी विधि वास्तव में तो गुरु से जाननी चाहिए क्योंकि गुरु भगवंत जीव की योग्यता का निश्चय करके, उनकी योग्यता के अनुसार मंत्र के सेवन की विधि वगैरह बता सकते हैं । मंत्रों की शक्ति महान होती है। योग्य-आत्माएँ विधिवत् उनकी उपासना करें, तो उनके तन-मन-धन का रक्षण तो होता ही है, परन्तु उसके उपरांत समाधि सहित अनेक इच्छित संपत्ति की प्राप्ति भी होती है और अयोग्य आत्मा के हाथ में गया हुआ मंत्र बहुत बार स्व-पर के महान अनर्थ का कारण भी बनता है । 5. मननात् त्रायत इति मन्त्रः ।