SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री नमस्कार महामंत्र १. सव्व श्रव्य, साहू अच्छी तरह से; याने जो आपने जीवन में = जिनवचन को अच्छी तरह सुनते हैं उन्हें सव्व - साहू कहा जाता हैं । = २. सव्व = स्रव्य = अनुकूल साहू = निपुण अर्थात् मोक्ष के अनुकूल कार्य करने में जो कुशल हो, निपुण हो, वह साधु है 1 साधे अर्थात् सर्व शुभ योगों की जो साधना ३. सव्व = करता है, वह साधु सर्व साहू है। - = ४७ ܝ ऐसे साधु भगवंतों श्री अरिहंत देवों द्वारा प्ररूपित चारित्र धर्म का स्वीकार कर निर्वाण के लिए सदा प्रयत्नशील रहते हैं । इसलिए वे नमस्करणीय हैं। साधु का किस वर्ण से ध्यान करना और क्यों ? साधु भगवंतों का ध्यान अषाढी मेघ जैसे श्याम वर्ण से करना चाहिए, क्योंकि १. आचार्य पद रूपी सुवर्ण की परीक्षा साधुधर्म रूपी कसौटी के पत्थर से होती है । वह कसौटी का पत्थर श्याम होता है, इसलिए साधु का ध्यान श्यामवर्ण से होता है । २. जैसे शत्रु के साथ युद्ध करने के लिए जानेवाले सैनिक श्याम वर्ण के लोहे का कवच पहनते हैं, वैसे कर्मशत्रु के साथ युद्ध करने के लिए जानेवाले साधक-साधु, जैनशासन में सैनिक जैसे हैं, इसलिए उनका ध्यान श्याम वर्ण से किया जाता है । ३. जो अत्यन्त परिश्रम करता है, वह श्याम बन जाता है । साधु भी मोक्ष की साधना के लिए तीव्र परिश्रम करते हैं, इसलिए श्याम हैं । ४. आत्मसाधक साधु बाह्य शारीरिक मलिनता के प्रति घृणा या अरूचि नहीं रखते और उसे दूर करने का प्रयास भी नहीं करते । मलरूपी परिषहों को इस तरह सहने के कारण साधु श्याम लगते हैं, इसलिए उनका ध्यान श्याम वर्ण से किया जाता है ।
SR No.006124
Book TitleSutra Samvedana Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy