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________________ २२ संवेदना सूत्र अरिहंत का ध्यान किस वर्ण से और क्यों : अरिहंत भगवंतों का ध्यान श्वेत, उज्ज्वल वर्ण से किया जाता है, क्योंकि १. जिस प्रकार वर्णो में श्वेतवर्ण प्रधान है, वैसे ही पंच परमेष्ठी में अरिहंत प्रधान है, इसलिए उनका ध्यान श्वेत वर्ण से किया जाता है । २. अरिहंत सब कष्टों, परिषहों, उपसर्गों को अत्यन्त धीरता से सहन करते हैं, इसलिए वे सात्त्विक वृत्तिवाले होते हैं । ऐसे सात्त्विक वृत्तिवाले उत्तम पुरुषों का रक्त, मांस आदि भी उज्ज्वल, शांत और स्थिर होता है । अतः आन्तरिक वृत्तियों को जीतनेवाले, महान अतिशयसंपन्न अरिहंत भगवान का शुक्लवर्ण से ध्यान करना चाहिए । ३. अपना लक्ष्य राग-द्वेष आदि दोषों से मलिन बनी हुई आत्मा को उज्ज्वल बनाने का है, इसलिए उज्ज्वल गुणों को जिन्होंने प्राप्त किया हैं, ऐसे अरिहंत का ध्यान भी उज्ज्वल वर्ण से करना चाहिए । जिससे हम भी अरिहंत के उज्ज्वल गुणों को प्राप्त कर सकें । सभी अरिहंत बाह्य शरीर की दृष्टि से श्वेतवर्ण के होते हैं, वैसा नहीं है परन्तु साधना करनेवाले साधक के लिए बाह्य आकृति से ज्यादा अंतरंग गुणसमृद्धि उपकारक है । अंतरंग उज्ज्वल आत्मस्वरूप का ध्यान करने के लिए अंतरंग गुणों का लक्ष्य रखकर अरूपी आत्मा का निरालंबन ध्यान जब तक सम्भव नहीं है, तब तक उज्ज्वल गुणसमृद्धि के स्मरण के लिए उपकारक उज्ज्वल बाह्य रूप का 'सालंबन' ध्यान किया जाता है । 'नमो अरिहंताणं' बोलते हुए करने योग्य भावना : क यह पद बोलते हुए साधक अनंत अरिहंत भगवंतों तथा उनके उपकारों को याद करके, नमस्कार करते हुए सोचता है, 'हे प्रभु ! आप इस जगत् में सर्वश्रेष्ठ हैं । आपने ही मुझे सुख का मार्ग बताया, दुःख को मिटाने का सत्य उपाय समझाया है,
SR No.006124
Book TitleSutra Samvedana Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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