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सूत्र संवेदना
११. निद्रा : सामायिक में झपकी आना या सोना 'निद्रा' दोष है । इस अवस्था में नींद उड़ाने का विशेष प्रयत्न किया जाए, तो अवश्य इस दोष से बचकर समभाव के लिए प्रयत्न हो सकता है ।
१२. वस्त्र संकोच : सामायिक में बार बार वस्त्र को व्यवस्थित करना, सकुंचित करना, पलट पलट कर धारण करना इन सब क्रियाओं को करने में 'वस्त्र संकोच' नामक दोष लगता है । यह दोष भी सामायिक के सम्यग् यत्न में स्खलना उत्पन्न करता है । इसलिए शुद्ध सामायिक की इच्छावाले श्रावक को प्रयत्नपूर्वक उसका त्याग करना चाहिए ।
इस प्रकार मन-वचन-काया के ३२ दोषों को जानकर उनका प्रयत्नपूर्वक त्याग करना चाहिए । एक एक दोष के भिन्न भिन्न रूप को याद करके 'मिच्छामि दुक्कडं' देने से दोषों का स्मरण अच्छी तरह हो सकता है । उन दोषों के प्रति तिरस्कार भाव उत्पन्न होता है एवं भविष्य में ऐसे दोष न लगें वैसी जागृति भी आती है, जिससे भविष्य में वे दोष अल्प-होते जाते हैं। इस तरह सामायिक करनेवाले साधक अल्प- अल्पतर दोषवाले बनकर शुद्ध बनते हैं ।