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सामाहयवय जुत्तों सूत्र
सूत्र परिचय :
इस सूत्र का मुख्य उपयोग सामायिक पारते समय याने कि सामायिक समाप्त करते समय करते हैं । इसलिए इस सूत्र का दूसरा नाम 'सामायिक पारना सूत्र' भी है ।
सामायिक पारना याने शास्त्रों में सामायिक को जिस तरीके से करने का विधान है, उस तरीके से विधिपूर्वक पूर्ण करना । सामायिक का समय पूर्ण होने पर यह सूत्र बोलकर पुनः पुनः सामायिक करने की भावना के साथ सामायिक पारा जाता है ।
इस सूत्र की प्रथम गाथा में सामायिक करनेवाले श्रावक को सामायिक से कौन कौन से विशिष्ट फायदे होते हैं, यह बताया गया है । इसके साथ ही सूत्रकार ने श्रावक को सावधान करने के लिए यह भी कहा है कि, अगर सामायिक भावपूर्वक संपन्न हुई हो तो ही कर्मक्षय आदि फल मिल सकते हैं ।
निराश मत
दूसरी गाथा में सर्वविरति की लालसा रखनेवाले श्रावक को उत्साहित करते हुए कहा गया है कि, यदि तुम्हें संयम के प्रति अत्यन्त अनुराग है पर तुम सत्त्वहीनता के कारण संयम नहीं स्वीकार कर पाते हो तो भी तुम बनो क्योंकि करुणायुक्त परमात्मा ने सामायिक का एक ऐसा सुंदर अनुष्ठान बताया है कि, तुम जब जब सामायिक करोगे, तब तब तुम साधु जैसे बन जाओंगे । इसलिए तम्हें बार बार सामायिक करनी चाहिए ।