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करेमि भंते सूत्र
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मूल सूत्र: करेमि भंते ! सामाइयं, सावजं जोगं पञ्चक्खामि । जाव नियमं पजुवासामि, दुविहं, तिविहेणं, . . मणेणं वायाए काएणं, न करेमि, न कारवेमि । तस्स भंते ! पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि ।
संपदा-
अक्षर : ७६
पद
अन्वय एवं संस्कृत छाया सहित शब्दार्थ : भंते ! सामाइयं, करेमि भदन्त ! सामायिकं करोमि, हे भगवंत ! मैं सामायिक करता हूँ ।
जाव नियमं पजुवासामि, सावजं जोगं पञ्चक्खामि, दुविहं, तिविहेणं मणेणं, वायाए, काएणं, न करेमि, न कारवेमि,
यावत् नियमं पर्युपासे, सावधं योगं प्रत्याख्यामि। द्विविधं त्रिविधेन, मनसा वाचा कायेन, न करोमि, न कारयामि ।
जब तक मैं नियम में हूँ (तब तक) मैं सावध योगों का पच्चक्खाण करता हूँ, दो प्रकार से एवं तीन प्रकार से अर्थात् मन-वचन-काया से (सावद्य योगों को) नहीं करूँगा, नहीं करवाऊँगा। तस्स भंते ! पडिक्कमामि, तस्य भदन्त प्रतिक्रामामि
उनका (अभी तक भूतकाल में जो सावद्य प्रवृत्तियाँ की थीं, उन सावध व्यापारों का) हे भदन्त ! मैं प्रतिक्रमण करता हूँ । निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि । निन्दामि गहें आत्मानं व्युत्सृजामि ।।
(उन सावध व्यापारों की) मैं निंदा करता हूँ, गर्दा करता हूँ एवं उन सावध व्यापारों को करने वाली अपनी आत्मा का अत्यंत त्याग करता हूँ ।