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लोगस्स सूत्र
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१७. कुन्थु : 'कु' अर्थात् पृथ्वी, पृथ्वी में स्थित इसलिए 'कुन्थु'- इस नियुक्ति से (पदच्छेद से) 'कुन्थु' यह सामान्य अर्थ तथा गर्भ के प्रभाव से माता ने स्वप्न में कुन्थु रत्नों का समूह (कन्थुओं के समान सूक्ष्म रत्नों का समूह) देखा, इसलिए 'कुन्थु' नाम रखा, यह विशेष अर्थ है ।
१८. अर : सर्वोत्तम महासात्त्विक कुल की अभिवृद्धि के लिए जो उत्पन्न होते हैं, उन्हें वृद्ध पुरुषो 'अर' कहते हैं, यह सामान्य अर्थ है तथा गर्भ की महिमा से माता ने स्वप्न में रत्नों का ‘अर' (आरा12) देखने से ‘अर' नाम रखा, यह विशेषार्थ है ।
१९. मल्लि : परिषह वगैरह मल्लों को जीतनेवाले थे, इसलिए 'मल्लि' ऐसे पदच्छेद से यह सामान्य अर्थ हुआ तथा गर्भ के प्रभाव से माता को सुगंधमय छ ऋतु के माल्य (पुष्पों) की शय्या में सोने का दोहद हुआ और वह देव ने पूर्ण किया, इसलिए मल्लि नाम रखा, यह विशेष अर्थ हैं ।।
२०. मुनिसुव्रत : जगत् की त्रिकाल अवस्था को 'मन्यते (जाने) इति मुनिः' तथा 'सुंदर व्रतवाले होने से सुव्रत' ऐसे (मुनि+सुव्रत=) 'मुनिसुव्रत' यह सामान्य अर्थ तथा गर्भ के प्रभाव से माता मुनि के जैसे सुंदर व्रतवाले हुए, इसलिए 'मुनिसुव्रत' नाम रखा यह विशेष अर्थ है ।
२१. नमि : परिषह - उपसर्गों को झुकाने से (पराजित करने से) नमि, यह सामान्य अर्थ है और नगर पर आक्रमण करने आए हुए शत्रु गर्भ के प्रभाव से झुक13 गए (नम्र हो गए।) इसलिए ‘नमि' नाम रखा, यह विशेष अर्थ है।
11.“सर्वोत्तमे महासत्त्वकुले यः प्रजायते । तस्याभिवृद्धये वृद्ध-रसावर उदाहतः ।।१।।" 12. अन्यत्र स्वप्न में माता ने रत्नों का स्तूप (पादुका) और आरा देखने से 'अर' नाम कहा है । 13. शत्रुराजाओं द्वारा नगर का घेरा नहीं उठाने पर, प्रभु की माता किले पर गई, तब गर्भ का
प्रभाव सहन न कर पाने से शत्रुराजा प्रभु की माता के सामने झुक गए, नम्र हो गए, इसलिए उनका 'नमि' नाम रखा ।