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सूत्र संवेदना
१३. विमल : 'वि' अर्थात् निकल गया है, 'मल' (मैल-कर्ममल) जिनका वे 'विमल' अथवा विमल (निर्मल) ज्ञानादि गुण जिनमें हैं, वे विमल यह सामान्य अर्थ है तथा गर्भ के प्रभाव से भगवान की माता की मति तथा शरीर विमल (निर्मल) हुए, इसलिए 'विमल' नाम रखा, यह विशेष अर्थ है।
१४. अनन्त : अनन्त कर्मों पर जिन्होंने विजय पाया है, वे 'अनंतजित् ' अथवा अनंतज्ञानादि गुणों से जो जयशील हैं, वे 'अनंतजित् ' यह सामान्य अर्थ है तथा भगवंत गर्भ में आए, तब माता ने अनंत 10 रत्नों की माला स्वप्न में देखी थी, इसलिए 'अनंत' और तीन भुवन में जयशील हैं, इसलिए 'जित्' ऐसे अनंत+जित् अर्थात् 'अनंतजित् ' यह विशेष अर्थ है । भीमसेन के बदले जैसे भीम कहा जाता है, वैसे यहाँ 'अनंतजित्' के बदले 'अनंत' नाम समझना है 1
१५. धर्म : दुर्गति में गिरते हुए जीवों को धारण करे वह 'धर्म' । यह सामान्य अर्थ है और भगवंत गर्भ में आए तभी से माता दानादि धर्म में तत्पर बनी, इसलिए 'धर्म' नाम रखा गया, यह विशेष अर्थ है ।
१६. शान्ति : भगवंत को शांति का योग होने से या स्वयं शांतिरूप होने से और भिन्न-भिन्न प्रकार से शांति करनेवाले होने के कारण 'शान्ति' यह सामान्य अर्थ और गर्भ की महिमा से देश में मरकी के रोग की शांति होने से 'शान्ति' नाम रखा, यह विशेष अर्थ है ।
9. किसी एक मंदिर में एक पति-पत्नी सोए हुए थे, तब एक व्यंतरी उस पुरुष का सुंदर रूप देखकर, मोह से खुद का रूप उसकी पत्नी जैसा बनाकर उसके बगल में सो गई। सुबह उन दोनों स्त्रियों की पति के लिए बहस हुई । दोनों का एक जैसा रूप होने के कारण पति सच्ची पत्नी को पहचान न सका । आखिर वे न्याय के लिए राजसभा में गए, परन्तु वहाँ कोई न्याय न हो सका । तब भगवंत की माता ने कहा कि जो दूर खड़े रहकर अपने हाथ से पति का स्पर्श करे, वह सच्ची स्त्री मानीं जाएगी । इस आदेश से व्यंतरी ने दैवी शक्ति से अपना हाथ लंबा करके पुरुष का स्पर्श किया । जिससे उसका छल प्रकट हो गया और उसे व्यंतरी समझकर बाहर निकाल दिया गया। इस प्रकार पति को सच्ची पत्नी मिली । गर्भ के प्रभाव से माता में ऐसी बिमल बुद्धि प्रकट हुई, इसलिए पुत्र का नाम 'विमल' रखा ।
10. गर्भ की महिमा से माता ने आकाश में 'अनंत' अर्थात् अंत हीन चक्र देखा इसलिए 'अनंत' नाम रखा, ऐसा भी अन्यत्र बताया है ।