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________________ २०० सूत्र संवेदना बार आकर उनकी माता का अभिनंदन (स्तुति) किया, इसलिए उनका नाम अभिनंदन रखा, यह विशेष अर्थ है । ५. सुमति : जिनकी 'सु' अर्थात् सुंदर ‘मति=बुद्धि' होती है, वह 'सुमति' यह सामान्य अर्थ है और जब भगवान गर्भ में थे, तब माता को विवाद में 'सु' अर्थात् सुदृढ़ निश्चय करवानेवाली मति-बुद्धि सूझी, इसलिए उनका नाम 'सुमति' रखा, यह विशेष अर्थ है । ६. पद्मप्रभ : निर्मलता की अपेक्षा से जिनकी कांति 'पद्म' समान है, वे 'पद्मप्रभ' यह सामान्य अर्थ है तथा भगवंत गर्भ में थे, तब माता का पद्म (कमलों) की शय्या में सोने का दोहद देवताओं ने पूर्ण किया था, इसलिए 'पद्म' और भगवान के देह की प्रभा (कांति) पद्मकमल समान (लाल) होने से 'पद्मप्रभ' नाम रखा, यह विशेष अर्थ है । ____७. सुपार्श्व : जिनका पार्श्व (देह का पृष्ठ भाग) 'सु' (सुंदर) है वह 'सपार्श्व'; यह सामान्य अर्थ है तथा भगवान गर्भ में थे, तब माता सुंदर पार्श्व (पृष्ठ) वाली हुई, इसलिए उनका नाम ‘सुपार्श्व' रखा, यह विशेष अर्थ है ।। ८. चन्द्रप्रभ : जिनकी प्रभा चंद्र के किरणों की तरह शांत लेश्यावाली होती है, वे 'चन्द्रप्रभ' यह सामान्य अर्थ है तथा जब भगवान गर्भ में थे, तब माता को चंद्र का पान करने का दोहद हुआ था, तथा भगवान के शरीर की प्रभा चंद्र के समान उज्ज्वल थी, इसलिए 'चंद्रप्रभ' नाम रखा, यह विशेष अर्थ है । 5. दो माताएँ एक पुत्र के लिए लड़ती हुई राजा के पास न्याय के लिए गईं । जब राजा-मंत्री वगैरह सच्ची माता कौन उसका न्याय न कर पाये, तब भगवान की माता ने उस पुत्र के दो भाग करके बँटवारा करने का आदेश किया, तो सच्ची माता ने ऐसा करने के लिए मना किया । इससे सच्ची माता की परीक्षा हुई और पुत्र सच्ची माता को दिया गया । यह बुद्धि गर्भ के प्रभाव से सूझने के कारण पुत्र का नाम सुमति रखा गया । 6. अन्य मत द्वारा प्रभु के पिता के पृष्ठ भाग में कोढ़ था, तब गर्भवती भगवंत की माता के हाथ के स्पर्श से, गर्भ के प्रभाव से, पति का पृष्ठ भाग सुंदर हुआ, इसलिए उनका नाम ‘सुपार्श्व' रखा। .
SR No.006124
Book TitleSutra Samvedana Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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