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अन्नत्थ- सूत्र
सूत्र परिचय:
इस सूत्र द्वारा कायोत्सर्ग की प्रतिज्ञा की जाती है । इसलिए इसका दूसरा नाम 'कायोत्सर्ग प्रतिज्ञा सूत्र' है। इसके अलावा, कायोत्सर्ग में कितने आगार रखने हैं याने कितनी छूट रखनी है, वह भी इस सूत्र में बताया गया है । इसलिए इसे 'आगार सूत्र' भी कहते हैं । कायोत्सर्ग की प्रतिज्ञा एक महान प्रतिज्ञा है । इसमें अनादि काल से जो काया अपनी नहीं है, उस काया को अपनी मानने का जो देहाध्यास (मिथ्या मान्यता) किया है, उसका त्याग करना है । वास्तविक रीति से विचार करें तो, 'मैं काया नहीं; परन्तु काया का प्रवर्तन करनेवाली अंदर रहनेवाली आत्मा हूँ; लेकिन मोह के अधीन होकर हम 'काया ही मैं हूँ' ऐसा मान बैठे हैं । काया संबंधी इस अपनेपन के भाव से मुक्त होना - यही इस प्रतिज्ञा का लक्ष्य है। जो काया की क्षणभङ्गुरता और अपनी शाश्वतता का स्वीकार हो तभी शक्य है ।
कायोत्सर्ग की इस प्रतिज्ञा द्वारा वैसे तो काया का त्याग किया जाता है; परन्तु यहाँ संपूर्ण काया का त्याग ऐसा अर्थ अपेक्षित नहीं है; क्योंकि संपूर्ण काया का त्याग तो मृत्यु होने पर ही संभवित है । यहाँ काया का त्याग याने काया की ममता या काया की अनुचित प्रवृत्तियों का त्याग करना है । इस कायोत्सर्ग को करते समय काया के उपर ममत्व से किए हुए स्वामित्व के