SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 19 प्राप्त करके, सर्व संवरभाव को धारण करके मुक्तिपथ के पथिक बने। जिन सूत्रों के एक-एक पद में ऐसी अचिंत्य शक्ति है, ऐसे ही सूत्र हम सब को भी मिले हैं एवं उन सूत्रों का उपयोग हम रोजाना की धर्म क्रिया में करते हैं। ऐसा होने पर भी इन सूत्रों द्वारा जिस प्रकार को लाभ होना चाहिए वैसा लाभ वर्तमान के आराधक वर्ग में देखने को नहीं मिलता। इसका मूल कारण यह है कि, क्रिया में प्रयोग होनेवाले सूत्रों के भावों को स्पर्श करके जिस प्रकार के भाव से क्रिया होनी चाहिए वैसी भाव क्रिया अब होती नहीं। भावक्रिया तो नहीं होती, परन्तु भाव का कारण बने वैसी प्रधान द्रव्य क्रिया भी अब बहुत से नहीं कर सकते। भाव का कारण बने वैसी द्रव्य क्रिया को शास्त्रकार 'प्रधान द्रव्य क्रिया' कहते हैं। जब कि, भाव का कारण न बने वैसी द्रव्यक्रिया को अप्रधान द्रव्यक्रिया कहा गया है । 'उपदेश रहस्य' नामक ग्रंथ में महोपाध्याय श्री यशोविजयजी महाराज ने प्रधान द्रव्य क्रिया के चार लक्षण बताये हैं। उनमें पहला है - 1. 'तदर्थालोचन' - क्रिया में आनेवाले सूत्रों के अर्थ का इस तरह गंभीरता से विचार करना कि जिससे सूत्र में रहे हुए भावों को बुद्धि से समझ सकें। समझने के बाद उनको हृदय से स्वीकार करके उन भावों से अंतर को भावित कर सकें। 2. दूसरा लक्षण है - 'गुणानुराग' - सूत्र के अर्थ का जैसे-जैसे बोध हो, सूत्र के माध्यम से आत्मिक भावों का जैसे-जैसे उत्थान हो, वैसे-वैसे सूत्र, सूत्र का अर्थ एवं सूत्र के उपदेशक अरिहंत भगवंत एवं सूत्र के रचयिता गणधर भगवंतों के ऊपर तीव्र राग उत्पन्न होता है। यह सूत्र एवं सूत्र को बतानेवाले अरिहंत भगवंत एवं सूत्र के रचयिता गणधर भगवंत ही वास्तविकता से आत्मिक हित करनेवाले हैं। इस प्रकार उनके प्रति अत्यंत बहुमान पैदा होता है। ___3. तीसरा लक्षण है 'अप्राप्तपूर्व का हर्ष' - सूत्र एवं सूत्र बतानेवाले अरिहंतादि के प्रति अत्यंत अनुराग होने के कारण साधक को होता है कि,
SR No.006124
Book TitleSutra Samvedana Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy