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मूल सूत्र :
अब्भुट्ठिओ सूत्र
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इच्छाकारेण संदिसह भगवन् !
अब्भुट्टिओमि अब्भितर देवसिअं / राइअं खामेउं ?
इच्छं, खामि देवसिअं / राइअं । जं किंचि अपत्तियं, परमत्तिअं,
भत्ते, पाणे, विणए, वेयावच्चे, आलावे, संलावे, उच्चासणे, समासणे, अंतरभासाए, उवरिभासाए ।
जं किंचि मज्झ विणय-परिहीणं, सुहुमं वा बायरं वा, तुब्भे जाणह, अहं न जाणामि, तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ।
पद
संपदा
अक्षर-१२६
अन्वय सहित संस्कृत छाया एवं शब्दार्थ :
भगवन् ! इच्छाकारेण संदिसह
भगवन् ! इच्छाकारेण संदिशत
हे भगवन् ! आप मुझे इच्छापूर्वक आज्ञा दीजिए ।
अब्भिंतर देवसिअं / राइअं खामेउं अब्भुट्टिओमि ?
(अहं) अभ्यन्तर दैवसिकं / रात्रिकं क्षमयितुम् अभ्युत्थितो अस्मि !
मैं दिवस / रात्रि के दौरान ( हुए अपराधों की ) क्षमा याचना के लिए
उपस्थित हुआ हूँ ।
इच्छं, देवसिअं / राइअं खामेमि
इच्छामि, दैवसिकम् / रात्रिकं क्षमयामि ।
( हे गुरूदेव ! मैं वैसी ही आपकी आज्ञा को ) चाहता हूँ ( एवं अब) दिवस-रात्रि संबंधी अपराधों को खमाता हूँ ।