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________________ मूल सूत्र : अब्भुट्ठिओ सूत्र १११ इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! अब्भुट्टिओमि अब्भितर देवसिअं / राइअं खामेउं ? इच्छं, खामि देवसिअं / राइअं । जं किंचि अपत्तियं, परमत्तिअं, भत्ते, पाणे, विणए, वेयावच्चे, आलावे, संलावे, उच्चासणे, समासणे, अंतरभासाए, उवरिभासाए । जं किंचि मज्झ विणय-परिहीणं, सुहुमं वा बायरं वा, तुब्भे जाणह, अहं न जाणामि, तस्स मिच्छा मि दुक्कडं । पद संपदा अक्षर-१२६ अन्वय सहित संस्कृत छाया एवं शब्दार्थ : भगवन् ! इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! इच्छाकारेण संदिशत हे भगवन् ! आप मुझे इच्छापूर्वक आज्ञा दीजिए । अब्भिंतर देवसिअं / राइअं खामेउं अब्भुट्टिओमि ? (अहं) अभ्यन्तर दैवसिकं / रात्रिकं क्षमयितुम् अभ्युत्थितो अस्मि ! मैं दिवस / रात्रि के दौरान ( हुए अपराधों की ) क्षमा याचना के लिए उपस्थित हुआ हूँ । इच्छं, देवसिअं / राइअं खामेमि इच्छामि, दैवसिकम् / रात्रिकं क्षमयामि । ( हे गुरूदेव ! मैं वैसी ही आपकी आज्ञा को ) चाहता हूँ ( एवं अब) दिवस-रात्रि संबंधी अपराधों को खमाता हूँ ।
SR No.006124
Book TitleSutra Samvedana Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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