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अम्मुहिओ सूत्र
सूत्र परिचय :
इस सूत्र द्वारा परम उपकारी गुरु संबंधी कोई अविनय, अपराध, आशातना हुई हो तो उसकी क्षमापना की जाती है । दूसरे किसी व्यक्ति संबंधी अपराध हुआ हो तो उसकी क्षमापना दूसरे सूत्रों से भी होती है, लेकिन इस सूत्र द्वारा तो मात्र गुरु के प्रति हुए अपराधों की ही क्षमा मांगी जाती है, इसीलिए इस सूत्र का दूसरा नाम 'गुरु क्षमापना' सूत्र है ।
तीर्थंकर की अनुपस्थिति में गुरुतत्त्व, देवतत्त्व के जितना ही उपकारक होता है । इसीलिए जगत् का सर्वोत्कृष्ट जीवंत तत्त्व गुरुतत्त्व है । इस काल में गुरुतत्त्व के तुल्य जगत् का कोई भी व्यक्ति नहीं है । एक ओर उपकारी सद्गुरु की एक छोटी सी कृपा भी अमृत के कुंभ समान होती है एवं दूसरी ओर शिष्य की अयोग्यता के कारण या शिष्य के विशेष अपराध के कारण सद्गुरु के मुख से निकले उद्गार या निकलती आहे वधस्तंभ जैसी होती हैं । इसीलिए गुरुतत्त्व से युक्त सुगुरु की स्वप्न में भी आशातना न हो, ऐसी सावधानी रखनी चाहिए ।
दशवैकालिक ग्रन्थ के 'विनय' अध्ययन में तो यहाँ तक कहा गया है कि जो शिष्य अपने गुरु को छोटा मानता है, मंद बुद्धिवाला मानता है और ऐसा 1. दशवैकालिक विनय अध्ययन - १ उद्देशो गा.नं. २, ३, ४