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________________ इच्छकार सूत्र सूत्र परिचय : सूत्र के प्रथम शब्द को लेकर यह सूत्र ‘इच्छकार सूत्र' के नाम से जाना जाता है एवं इस सूत्र द्वारा सुगुरु की सुखाकारी पूछी जाती है, इसलिए इस सूत्र का दूसरा नाम 'सुगुरु सुखशाता पृच्छा सूत्र' भी है । सामान्य रीति से, प्रातःकाल में देववंदन करके गुरु के दर्शन करने चाहिए । उस समय या जब भी गुरुवंदन करना हो तब उचित विधि के अनुसार दो खमासमणपूर्वक पंचांग प्रणिपात कर, गुरु के समक्ष हाथ जोड़कर खड़े रहकर सुखशाता पूछने के लिए यह सूत्र बोला जाता है । इस सूत्र द्वारा गुरु के तप-संयम एवं शरीर संबंधी पृच्छा की जाती है, ऐसा पूछने से श्रमण भगवंत की सच्ची परिस्थिति जान सकते हैं एवं अगर उपाय की जरूरत हो तो संयम योग्य उचित उपाय कर सकते हैं । इसके उपरांत रात्रि-प्रतिक्रमण में प्रतिक्रमण करने के पहले यह सूत्र बोला जाता है । गुरु को वंदन करने के बारे में कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए; जैसे कि गुरु जब अन्य कार्य में व्यस्त न हों, आसन पर बैठे हों, उनका चित्त प्रसन्न हो, उपशांत हो एवं वे उत्तर देने तैयार हो', तब वंदन करनेवाले व्यक्ति को विधिपूर्वक खड़े रहकर, अपनी इच्छा का निवेदन 1. पसंते आसणत्थे अ, उवसंते उवट्ठिए । अणुन्नवित्तु मेहावी, किइकम्मं पउंजइ ।।१६।।
SR No.006124
Book TitleSutra Samvedana Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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