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________________ 14. जैन भूगोल A. क्या पृथ्वी घुमती है? CHINA INDIA ARABIA अब हम, पृथ्वी घूमती है या नहीं, इस पर विचार करेंगे। आगे हम देख चुके हैं कि पृथ्वी गोल गेंद जैसी नहीं है। यह एक सामान्य बालक भी समझ सकता है कि सामान्यत: जो वस्तु गोल न हो वह घूम भी नहीं सकती जैसे कि लट्ट, गेंद, सिक्का अथवा थाली गोल घूम सकते हैं किन्तु लोटा, गिलास, प्याली, चौकोर डिब्बा आदि गोल वस्तु के समान नहीं घूम सकते क्योंकि उनका अक्ष नहीं है। हमें स्कूलों में पढाया जाता है कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है और वह एक गति से नहीं तीन गति से (1) अक्ष पर प्रति घंटा 1,000 मील से अधिक, (2) सूर्य के चारों ओर प्रति घंटा 66,000 मील से , (3) सूर्य के साथ (निहारिका में) प्रति घंटा 7,20,000 मील से। एक सामान्य रूप से समझा जा सकता है कि यदि पृथ्वी इस प्रकार गति करती हो तो पृथ्वी धरातल पर के अपने मकान, पर्वत, नदी, समुद्र वगैरह तथा हम व्यवस्थित कैसे रह सकते हैं? एक दो सेकेन्ड का भूकम्प जब हाहाकार मचा देता है तब प्रति घंटा 1,000 मील की गति से पृथ्वी घूमे तो अपनी क्या हालत हो जाय? स्कूलों में आज पढाई जाने वाली बात कि पृथ्वी घूमती है, ये मान ले तो यदि हमें अमेरिका जाना 94
SR No.006119
Book TitleJain Tattva Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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