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________________ (5) स्त्यानर्द्धि जिसमें जागृत अवस्था में संकल्पित कार्य निद्रित अवस्था में पूरा करें। इनमें से पहले 4 दर्शनावरण दर्शनशक्ति: सामान्य ज्ञान की प्राप्ति नहीं होने देतें । जबकि 5 निद्रा जो प्राप्त दर्शन को पूर्ण रूप से ढक देती हैं। अत: इनका भी समावेश दर्शनावरण में होता है। (3) मोहनीय कर्म इसके कुल 28 भेद हैं। यह सभी दो विभागों में विभाजित हैं : 1) दर्शन मोहनीय 2) चारित्र मोहनीय दर्शन मोहनीय दर्शन मोहनीय के भी तीन भेद माने गये हैं (1) मिथ्यात्व मोहनीय जिसके उदय होने पर जीव को अतत्त्व के प्रति रुचि प्रकट होती है और सर्वज्ञ भगवंत द्वारा निरूपित तत्त्वज्ञान के प्रति अरुचि पैदा होती .... श्रद्धा नहीं बनती (2) मिश्र मोहनीय : किसी तत्त्व के प्रति रुचि नहीं, तथा अतत्त्व के प्रति भी रुचि नहीं। साथ तत्त्वातत्त्व के प्रति अरुचि भी नहीं। इसे मध्यस्थ (तटस्थ ) भाव भी कहते हैं। (3) समकित मोहनीय : मिथ्यात्व के शुद्ध किये गये दलित, जिसके उदित होने पर तत्त्व के प्रति रुचि उत्पन्न होती है, फिर भी शंका कुशंकादि दोष होने की संभावना होती है। चारित्र मोहनीय चारित्र मोहनीय के 2 भेद और 25 प्रभेद हैं : (1) कषाय मोहनीय के 16 भेद है (2) नोकषाय मोहनीय के 9 भेद है. कषाय के 16 भेद- कष् = संसार, आय = लाभ । क्रोधादि भावना में से जिसकी उत्पत्ति होती है, उसे कषाय कहा जाता है अर्थात् जो संसार के प्रति जीवन में आसक्ति, अनुराग भाव पैदा करता है, वह कषाय है। ये है - क्रोध, मान, माया और लोभ । इसमें से प्रत्येक के अनंतानुबंधी, अप्रत्याख्यानीय, प्रत्याख्यानीय एवम् संज्वलनादि 4-4 प्रभेद है। इस तरह कुल मिलाकर 16 कषाय होते हैं। कषाय के 9 प्रभेद 9 प्रभेद कषाय से प्रेरित अथवा कषाय के प्रेरक माने गये हैं। (1) हास्य, (2) शोक, (3) रति, (4) अरति, (5) भय, (6) जुगुप्सा । उपरोक्त छ: की निर्मिति किसी निमित्तवश अथवा कदाचित् बिना किसी निमित्त के स्व-संकल्प वश होती है। कषाय के 9 प्रभेद में 3 वेद का भी समावेश होता है। (1) पुरुषवेद: जिस प्रकार जुकाम होने से नमकीन खाने की इच्छा होती है, ठीक उसी प्रकार जिसका उदय होने से स्त्री संसर्ग करने की अभिलाषा हो 74
SR No.006119
Book TitleJain Tattva Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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