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चरित्रारंभ रहेलो छे. तेनी अंदर आवेला सर्व अंतरद्वीपो युगलीआ मनुष्योथी युक्त छे. तेनी पछी चार लाख योजनना प्रमाणवाळो हित करनारो धातकीखंड आवेलो छे तेनी अंदर छ कर्मभूमिओ अने बीजी बार अकर्मभूमिओ रहेली छे. तेनी पछी आठ लाख योजन विस्तारवाळो कालोदधिसमुद्र छे, तेमां तेटला ज प्रमाणवाळो अर्धपुष्करद्वीप आवेलो छे. ते द्वीपनी अंदर पण कर्म अने अकर्मभूमिओ धातकीखंडना प्रमाणे रहेली छे. एक जंबूद्वीप सिवाय बीजा द्वीपमा जे जे प्रमाणे कहेल छे, तेने विद्वानोए एकत्र मेळवी बमणुं प्रमाण करवं अने तेनी अंदर जंबूद्वीपर्नु जे लक्ष प्रमाणे छे ते मेळवq. एटले बधुं मळीने पीस्तालीश लाखनुं परिमाण संपूर्ण थइ शकशे. ।।६।।
अखंड शोभाथी विराजित एवो ते धातकीखंड वनखंडनी जेम शोभतो हतो. जेम वनखंड पत्र-पांदडाथी व्याप्त होय तेम ते पत्र-व्याप्त हतो जेम वनखंड सत् श्री-सारी शोभावाळो होय तेम ते सत्-सत्पुरुषोनी शोभावाळो हतो. जेम वनखंड श्रीफल-नालीकेरना फलवाळो होय, तेम ते श्री-लक्ष्मीना फलवाळो हतो. जेम वनखंड सुमन-पुष्पोनी श्रेणीथी युक्त होय तेम ते सुमनविद्वानो अथवा देवताओनी श्रेणीथी युक्त हतो, जेम वनखंड सुवय-सारां पक्षीओथी आश्रित होय तेम ते सुवय-सारी अवस्थावाळा-युवान लोकोए आश्रित करेलो हतो. जेम ते वनखंड पुत्राग-नाग केशरना वृक्षोना समूहथी संयुक्त होय तेम ते. उत्तम पुरुषोना समूहथी संयुक्त हतो. जेम वनखंड अशोकना वृक्षोवाळो होय तेम ते अशोक-हर्षवाळो हतो. जेम वनखंड वृष-बळद ए सहित होय, तेम ते वृषधर्मे करीने सहित हतो.
जेम वनखंड कुंजरासन-लतागृहोमां कामदेव संबंधी आसनोथी संपूर्ण होय तेम ते कुंजर-गजेंद्रोनां आसनोथी संपूर्ण हतो. जेम वनखंड कनकनी कांतिवाळा अग्नि-दावानलथी अंकित होय तेम ते कनक-सुवर्णना मोटा भारथी अंकित हतो. जेम वनखंड धात्रीना वृक्षोथी युक्त होय तेम ते धात्री-धाव्य माताओथी युक्त, जेम वनखंड करुण नामना वृक्षोथी युक्त होय तेम ते करुणादयाथी युक्त हतो; जेम वनखंड सत्पूग-सारी सोपारीना वृक्षोथी युक्त होय तेम ते सत्-सज्जनोना पूग समूहथी युक्त हतो. जेम वनखंड कमल पुष्पोना समूहवाळो होय तेम ते कमळा लक्ष्मीना ढगलावाळो हतो. जेम वनखंड वंश-वांसना वक्षोए सहित होय तेम ते वंश-कुलनी वृद्धिए सहित हतो, जेम वनखंड सुविशाळ1. धात्री-आंबलीना वृक्षो.
श्री विमलनाथ चरित्र - प्रथम सर्ग