SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 260
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री विमलनाथ प्रभुनो जन्म महोत्सव तमारे भय राखवो नहीं, अमंगळ दूर करवू, तमारा पुत्रनो जन्मोत्सव करवाने माटे हुं अहिं आव्यो छु." पछी श्यामादेवीने अवस्वापिनी निद्रा आपी ते भक्ति करवामां चतुर एवा इंद्रे पोताना पांच स्वरूप बनाव्या. माता पासे अन्य प्रतिबिंब (प्रभु तुल्य प्रतिमा) स्थापन करी पोतानी एक मूर्तिए गोशीर्ष चंदनवाळा बंने हाथमां प्रभुने ग्रहण कां. एक रूपे छत्र, बे रूपे बे चामर अने एक रूपे दुष्टोने निवारनारुं वज्र लीधुं. पछी बीजा देवताओना समूहे युक्त थई जिनशासननो भक्त एवो ते इंद्र विधिपूर्वक प्रभुने मेरुपर्वत उपर लई गयो. ते पर्वतनी चूलिकानी दक्षिण तरफ आवेला पांडुक नामना वनमां अतिपांडुकबला नामनी श्वेत कांतिवाळी शिला उपर आव्यो. त्यां स्नान करवाने योग्य एवा सिंहासन उपर ते इंद्र प्रभुने उत्संगमां राखी तरत पूर्वाभिमुखे बेठो. ते वखते जेना हाथमां त्रिशूल छे, जेने वृषभनुं वाहन छे अने पुष्पक नामना अतिप्रौढ प्रमाणवाळा विमान उपर जे रहेलो छे एवो ईशान-इंद्र अठ्यावीश लाख विमान वासी उत्कृष्टदेवताओनी साथे बीजा कल्पमांथी उतरी तिर्छा दक्षिण दिशाने मार्गे नंदीश्वर द्वीपमा आवी त्यां पोताना विमानने संक्षिप्त करी घणा परिवार सहित ते मेरुपर्वत उपर आव्यो. बार लाख विमानोना श्रेष्ठ देवताओथी वीटायेलो सनत्कुमार इंद्र सुमन नामना रूडा विमानमां आव्यो. आठ लाख विमान पति देवताओथी परिवृत थयेलो माहेंद्र इंद्र श्रीवत्स नामना विमानमां बेसी प्रभुनी समीपे आव्यो. चार लाख वैमानिक देवताओए युक्त थई ब्रह्मदेवलोकनो पति इंद्र नंद्यावर्त्त विमानमां बेसीने प्रभुनी पासे आव्यो, पचास हजार विमानपति देवताओनी साथे लांतक इंद्र कामगव नामना विमानमां बेसीने त्यां आव्यो. चालीश हजार विमानवासी देवताओनी साथे शुक्रपति प्रीतिगव विमानमां बेसीने हर्षथी त्यां आव्यो. छ हजार विमानवासी देवोनी साथे सहस्रार देवलोकनो इंद्र मनोरम नामना विमानमां बेसीने त्यां आव्यो. आनत-प्राणत पति इंद्र चारसो विमानवासी देवताओनी साथे विमल नामना विमानमां बेसी हर्षपूर्वक त्यां आव्यो. आरणाच्युत पति इंद्र त्रणसो विमानवासी देवताओनी साथे सर्वतोभद्र नामना विमानमां बेसीने त्यां आव्यो. आ समये रत्नप्रभा नामनी पृथ्वीमां घणी संख्याए वसनारा भवनपति अने व्यंतरेंद्रोनां आसनो कंपायमान थयां. अवधिज्ञानथी जाणी तेओना चमर अने बलि नामना बे इंद्रो, धरणेंद्र अने भूतानंद नामे बे नागेंद्रो, वेणुदारी अने वेणुदेव नामे बे सुपर्णोना इंद्रो, हरि अने हरिसेन नामे बे विद्युत्कुमारोना इंद्रो, अग्निमाणव अने अग्निशिख नामे बे अग्निकुमारोना इंद्रो, पूर्ण अने वसिष्ठ नामे बे द्वीपकुमारोना श्री विमलनाथ चरित्र - चतुर्थ सर्ग 230
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy