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________________ भावतत्त्वना स्वरूप उपर चंद्रोदरनी कथा स्मृति, १३. व्याकरण, १४. कात्यायन, १५. शिक्षा, १६. विज्ञान (सायन्स), १७. आगम, १८. काव्य, १९. अलंकार, २०. हास्य, २१. संस्कृत, २२. प्राकृत, २३. विधि, २४. वेद, २५. ईतिहास, २६. पुराण, २७. अमरी कला, २८. खेचरी कला, २९. पैशाचिक भाषा, ३०. अपभ्रंश, ३१. नखथी कोरवानी कला, ३२. पत्रकोतरवानी कला, ३३. मंत्र, ३४. यंत्र, ३५. रस, ३६. स्वप्न, ३७. वैदक, ३८. विष परीक्षा, ३९. नाच, ४०. गंध परीक्षा, ४१. वाद करवानी कला, ४२. शकुन जाणवानी कला, ४३. धुर्त विद्या, ४४. वशीकरण, ४५. जुगार, ४६. चित्र, ४७. काष्ठनी कारीगरी, ४८. चर्मनी कृति, ४९. पाषाणनी कृति, ५०. धातुक्रिया, ५१. आलेखवानी कला, ५२. काचनी कला, ५३. हाथी उपर चडवानी कला, ५४. घोडा उपर चडवानी कला अने हाथी, घोडानी शिक्षा, ५५. देश भाषा जाणवानी कला, ५६. सिद्धांत, ५७. केवलिविधि, ५८. यंत्रथी रसोई करवानी कला, ५९. पाताळ सिद्धि, ६०. वैदकनी सिद्धि, ६१. इंद्रजाळ, ६२. हथीयारनो अभ्यास, ६३. महेल बनाववानी कला अने लक्षण ज्ञान, ६४. रत्न परिक्षा, ६५. निघंटु औषध कोश, ६६. काष्ठनी योजना करवानी कला, ६७. प्रयोगना उपायो जाणवानी कला, ६८. कपट कला, ६९. दर्शननो संस्कार, ७०. वृक्षोनी चिकित्सा, ७१. " सर्वकारिणी कला अने ७२. सामुद्रिक. आ प्रमाणे सर्व कलाओनी क्रीडाना मंदिर रूप, सुंदर आकृतिवाळी अने । रतिनी प्रीतिवाळो ते चंद्रोदर रति प्रीतिवाळा कामदेवना जेवो शोभतो हतो, जे चंद्रोदरनो जीव लेखशाळामां जतां विबुधाचार्य थाय ते घटे छे. परंतु ते कलावान् थयो एटलुं आश्चर्य छे. कुमारना कलाचार्य उत्तम ब्राह्मणने राजाए मंडळ (देश)ना दानथी एवो सत्कार कर्यो के जेथी ते नामथी अने धामथी खरेखर कलाचार्य बनी गयो हतो. ____एक वखते राजाए जेनुं बल अनेकमां प्रवर्ते छे एवा पोताना मतिसार नामना मंत्रीने ते कुमार हितशिक्षाने माटे सोंपी दीधो. ते बुद्धिमान् मंत्रीए सत्पुरुषोने पण मानवा योग्य अने कामदेवना जेवा सुंदर एवा ते कुमारने आ प्रमाणे का "हे उत्तम बुद्धिवाळा वत्स, हुं तने उच्च शिक्षा आपुं छु. ते शिक्षा सरस्वतीनी एक लेखशाळा कहेवाय छे अथवा तने शिक्षा आपवी ते पूर्ण चंद्रने कला आपवा जेवं, सूर्यने तेज आपवा जेवू अने देव, गुरु, बृहस्पतिने शिक्षण आपवा जेतुं छे; तथापि विद्वान् अने मानी एवा पुरुषोए राजानी आज्ञा मान्य करवी जोईए, एम धारीने हुँ तने जे कांई कहुं, ते तारे हितरूपे धारण करवू. हे श्री विमलनाथ चरित्र - तृतीय सर्ग 159
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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