________________
भावतत्त्वना स्वरूप उपर चंद्रोदरनी कथा । जेवी वाणीथी ते स्वप्नानी वार्ता राजाने कही 'जेवू भोजन तेवो ज ओडकार आवे छे राणीनो परिताप जे चंद्रना पानथी शांत थई गयो, ते घटे छे, पण राजाने माटे ते आश्चर्यनी वात छे. अथवा ते बनेनी एकता छे. जेनी अबळा स्त्री पण राजाने गळी जाय छे. तो पछी ते राजा अखंड निश्चिंत केम न रहे? आ प्रमाणे चिंताना संतापथी मुक्त थयेली राणीने राजाए हर्षथी कर्वा "भद्रे! तने राजा-चंद्रनी जेम कला कलापथी युक्त एवो पुत्र थशे. हे भामिनी! स्वप्नामां जो स्त्री लींग जोवामां आवे, तो प्राये करीने स्त्री अवतरे छे, पुलिंग जोवामां आवे तो पुरुष अवतरे छे अने नपुंसक लिंग जोवामां आवे तो नपुंसक अवतरे छे. जो शुभ स्वप्न जुए तो भव्य पुत्र थाय अने अशुभ स्वप्न जुए तो तेथी विपरीत पुत्र थाय छे, तने शुभ स्वप्न थयुं छे, तेथी तारे सारो पुत्र थशे, तेमां कोई जातनो संशय नथी." राजाना आवां वचन सांभळी राणी एवं थाओ! (आपनुं वचन प्रमाण) एम कही पोताना आवासमां चाली गई. ते राजा अने राणी बंनेने प्रत्यक्ष खात्री थयाथी तेओ पछी हमेशां हर्षथी नवकारमंत्र- स्मरण करवा लाग्या.
हवे ज्यारे गर्भने त्रीजो मास बेठो, त्यारे राणीने एक मनोहर दोहद उत्पन्न थयो जेवो पृथ्वीमां कंद होय तेवो ज अंकुर उत्पन्न थाय छे. राजाए ते दोहद पूरो कर्यो अने दुष्कृत्यनो चूरो कर्यो. पछी स्वेच्छा प्रमाणे (सानुकुळ) आहार विहारना सुखोथी गर्भनी पुष्टि थवा लागी, लक्ष्मीने आपनारो पूर्ण काल प्राप्त थयो. त्यारे जेम पूर्णिमा पूर्णचंद्रने जन्म आपे, तेम राणीए नेत्रोने आनंद आपनारा उत्तम अद्भुत कुमारने जन्म आप्यो. जे माणसे आ पुत्र जन्मनी वधामणी राजाने कही, ते माणसने राजाए हर्षथी अधिक दान आप्यु. सर्व प्रकारनो पोतानो कुलाचार विधिपूर्वक कर्या पछी ज्यारे सूतक निवृत्त थयुं एटले सर्व स्वजनोना समूहने जमाडी अने वस्त्र वगेरेथी तेमनो सत्कार करी, कार्य जाणनारा राजाए स्वप्नने अनुसारे ते कुमारनुं नाम चंद्रोदर पाड्युं. चंद्रोदर ज्यारे आठ वर्षनो थयो, त्यारे राजाए तेने कलाचार्यने सोंपी दीधो. अनुक्रमे चंद्रोदर आ प्रमाणे बोंतेर कलाओ शीख्यो. ।।२४७।।
१. लेखन, २. गणित, ३. गीत, ४. नृत्य, ५. वाद्य, ६. रसायन, ७. ज्योतिष, ८. पठन, ९. छंद, १०. निरुक्त (शब्द व्युत्पत्ति), ११. गारूड, १२. 1. राणीए अमृतमय चंद्रनुं पान कर्यु हतुं, तेथी तेणीनी वाणी अमृतना जेवी नोकळे. 2. चंद्रना योगथी परिताप शांत थई जाय छे. राजानो अर्थ चंद्र थाय छे त्यारे गणी चंद्र राजाने पी गई अने राजा शांत थयो, ते आश्चर्यनी वात छे. 3. राजा एटले चंद्र.
श्री विमलनाथ चरित्र - तृतीय सर्ग
158