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________________ ग्रंथ रचवानो हेतु - पूर्वाचार्यनी कृतिकाना आवा अनेक ग्रंथोमांथी आ श्रीमान् ज्ञानसागरसूरिनी कृतिरूप श्री विमलनाथ चरित्र एक अद्वितीय जीवनचरित्रना शिक्षारूप बोधप्रद ग्रंथ छे. आ चरित्रना रचवामा मुख्य उद्देश प्रयोजन ए छे के भव्यात्माओ धर्मरूपी कल्पवृक्षनुं स्वरूप समजी तेनो प्रभाव जाणी तेनो आदर करी मोक्ष मेळवे. ग्रंथकार महात्मानो परिचय - श्री स्थंभतीर्थ-खंभातमां व्यवहार-व्यापारमा कुशळ श्री हरिपति नामना संघपति हता. जेमणे संवत १४५२नी सालमां संघ लई के जे संघमां सात जिनमंदिरो हता, ते साथे श्री शत्रुजय तीर्थनी यात्रा करी हती अने तेओए श्रीरत्नसिंहसूरि अने साध्वीवर्गमां शिरोमणि श्री रत्नचूला साध्वी महाराजना पगला पधराव्या हता. ते संघपति हरिपति शेठनी नामलदे नामनी सुपत्नीथी सज्जनसिंह नामे पुत्र थयो, ते सज्जनसिंह शेठनी कौतुभदेवी नामनी स्त्रीथी शाणराज शेठ थया, के जेणे श्री शत्रुजय तथा श्री गिरनार तीर्थनी संघ सहित २४ देवालयनी साथे उत्सव सहित विधिपूर्वक यात्रा करी हती. ते शाणराज शेठना आग्रहथी ज आ ग्रंथना कर्ता श्रीमान् ज्ञानसागरसूरिए आ ग्रंथ संवत १५१७ना श्रावण मासनी कृष्ण पंचमीने दिवसे श्री स्थंभतीर्थमां भव्य जीवोना उपकार माटे लख्यो छे. श्रीमान् ज्ञानसागरसूरि श्री रत्नसिंहसूरि महाराजना शिष्य छे एम ग्रंथनी छेवटे ग्रंथकार महाराजे संक्षिप्तमा जणावेल छे. आ ग्रंथ रचवानो उपरोक्त हेतु साथे ग्रंथनी शरुआतमां ग्रंथकर्ताए पण जणावेलो छे के. शाणराज शेठे श्री रत्नसिंहसूरीश्वर महाराजना उपदेशथी रैवताचल (गिरनारजी) तीर्थ उपर एक जिनालय कराव्युं हतुं, जेना द्वार उपर श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ अने चिंतामणि गणधर बंने काउसग्गने धारण करी बिराजमान छे अने ज्यां पवित्र कांतिवाळु समवसरण स्फुरायमान थई शोभावेलुं छे. जे जिनालयमां बीजी सुवर्णनी प्रतिमाओ पण होवाथी कांचनबलानक एवं गौरवशाळी नाम आपेलुं छे. आवा भव्य ते जिनालयमां मूळनायक श्री विमलनाथ प्रभु (के जे आ ग्रंथमां जेमनुं चरित्र आवेल छे. ते) जय पामे छे. एटले के शाणराज शेठे श्री गिरनार तीर्थ उपर श्री विमलनाथ प्रभुनुं मंदिर करावी देवभक्ति करेली होवाथी तेज तीर्थंकर भगवाननुं चरित्र रचवा श्रीज्ञानसागरसूरिजीने विनंती करी होय अने आ ग्रंथनी रचना तेवा हेतुथी थई होय ते हकीकत पण सप्रमाण छे. आ हकीकत ग्रंथ संबंधे जणावी हवे आ ग्रंथमां शुं शुं हकीकतो छे ते संक्षिप्तमा जणावीए छीए.
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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