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________________ केटलुं भव्य जीवोने अनुकरण करवू शक्य छे साथे वर्तमान काळमां हेय, ज्ञेय अने उपादेय केटलुं छे तेनो पण अनुभव थाय छे. तीर्थकर चरित्रनुं श्रवण कल्पसूत्रद्वारा पर्युषण पर्वमां जैन प्रजाने सर्वथा साध्य होई दर वर्षे नियमित तक मळे छे. वळी त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र जे के पूर्वाचार्य रचित छे ते वगेरेमां पण परमात्मा देवोना चरित्र उपलब्ध थाय छे के जेमांथी वधता ओछा अंशे पण वाचक तेनो लाभ मेळवे छे, परंतु आवा देवाधिदेवनां चरित्रो हजु पण मूळ-संस्कृत प्राकृत भाषामां बहुविध उपकारक अने विस्तृत एटला बधा छे के, वर्तमान काळमां आपणो समुदाय ते भाषानो अभ्यासी न होवाथी ते ते महापुरुषोना गुणभंडारो- अजाणपणुं रही जवा पामे छे; वळी एक ज ग्रंथमां अनेक महा पुरुषोना चरित्र होवाथी ते संक्षिप्तमां पण होय तेथी एक एक तीर्थंकर भगवान- चरित्र संपूर्ण अंशे, विविध अनेक उपदेशक, अंतर्गत कथाओ सहित, प्रतिभाशाळी, मनोहर रसगौरव शैलीथी अलंकृत करेल होय अने ते प्राचीन महात्मानी कृतिनुं होय, जेथी तेवा चरित्रमाथी तत्त्व प्राप्तिनो जनसमुदाय अलभ्य लाभ मेळवी शके. तेथी तेवा ज तीर्थंकर प्रभुना चरित्रोनुं गुजराती भाषामां सरल भाषांतर करी प्रगट करवानो शुभ प्रयत्न होवाथी आवो प्रबंध केटलाक वखतथी सभाए शरु कर्यो छे; जेमांथी श्री नेमिनाथ प्रभु तथा श्री सुपार्श्वनाथ प्रभुनां चरित्रो प्रगट करेलां छे, जेनो लाभ सारी रीते जन समाजे लीधेलो होवाथी अने सभानी आ प्रवृत्ति प्रशंसनीय साहित्य सेवारूप होवाथी अने ते चालु राखवानी घणी मांगणी अने सूचनाओ केटलेक स्थळेथी थती होवाथी, तेनाज प्रयत्नरूपे आ श्री ज्ञानसागरसूरि रचित श्री विमलनाथ प्रभुना चरित्रनुं गुजराती भाषांतर करावी जैन समाजनी सेवामां मूकीए छीए. हजी तेवो ज विशेष प्रबंध शरु होवा तरीके श्री चंद्रप्रभु चरित्र तथा चरम तीर्थंकर श्री महावीरदेवनुं चरित्र (जे के प्राकृत घणुंज प्राचीन, रसिक अने तत्त्वज्ञाननी विविध हकीकतो अने कथाओ साथेनुं छे) के जेना भाषांतरो तैयार थई गयेलां छे, ते पण आर्थिक सहाय मळतां प्रगट करवानो शुभ प्रयत्न आ सभानो छे. आवा जैन कथानुयोगर्नु परिशीलन करवाथी बीजा करतां ते समाज उपर विशेष महान उपकार करी शके छे. आ ग्रंथ पण तेवो ज होई ते साथे तेमां आवेल क्रमवार कथाओनी अलौकिक रचना, छूपायेलो तात्त्विकबोध असाधारण गौरवशाळी होई आ कथाग्रंथ सर्व मुमुक्षुओने सर्व रीते उपयोगी थई पडशे, तेम अनुभवतां तेनो अनुवाद करावी तेनी सार्थकता थवा आजे जिज्ञासुओनी आगळ मूकवा प्रयत्नशील थयेल छीए.
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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