SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शीलव्रत उपर शीलवतीनी कथा मनुष्य पण जो ( नारदनी जेम) सुशील होय, तो परमपदने पामे छे अने खराबस्वभावनी स्त्री पण जो महासती होय तो ते परमपदने पामे छे, तेथी सदा शीलनो आश्रय करवो. शील पाळवाथी पुरुषो अने स्त्रीओ 'अकाम-कामरहित होय, तो पण सत्काम- सारी कामनाए युक्त थाय छे, 2अप्रिय होय ते सप्रिय थाय छे अने रोगी होय ते नीरोगी थाय छे. जे शील वगरनो होय ते शूर होय तो पण मंद तेजवाळो थई जाय छे, शंभु होय, तो पण अंगना भंगवाळो थाय छे. 'राजा पण कलंकित थई जाय छे अने 'हरि पण कुदृष्टिवाळो थाय छे. जेओ शीलवतीनी जेम सदा हर्षथी शील पाळे छे, तेओने आलोकमां कीर्त्ति अने परलोकमां स्वर्ग तथा मोक्ष प्राप्त थाय छे. ।। १५ ।। राजा पद्मसेने प्रश्न कर्यो, "भगवन्, ते शीलवती कोण हती?" त्यारे गुरुए नीचे प्रमाणे कां - शीलतीनी कथा दीपकनी जेम सुवृत्तपात्ररूप एवा श्री जंबूद्वीपमां क्षेत्रना जेवुं भरतक्षेत्र आवेलुं छे. क्षेत्र जेम सीरि- हळवाळा खेडूत तथा वृष - बळदोथी विराजित होय छे, ते भरतक्षेत्र सीरि-सूर्य जेवा वृष - धर्मनी अथवा उत्तम पुरुषोथी विराजित छे. क्षेत्र जेम कौटुंबिक - कणबी लोकोथी युक्त होय छे, तेम भरतक्षेत्र सारा कुटुंबवाळा लोकोथी युक्त छे अने क्षेत्र जेम कृषिकर्म करनाराने उपयोगी होय छे. तेम भरतक्षेत्र आठ प्रकारना कर्मों करनारा प्राणीओथी युक्त छे. तेवा भरतक्षेत्रमां नंदनवनना जेवुं नंदन नामे एक नगर छे. जेम नंदनवन विबुध - देवताओना आधाररूप छे, तेम ते नगर विबुध - विद्वानोने आधाररूप हतुं. जेम नंदनवन रंभा सहित अप्सराओनुं स्थानरूप छे, तेम ते नगर सरंभा - कदली सहित तथा सजळ सरोवरोना स्थानरूप हतुं अने नंदनवन जेम सारी छायावाळं छे, तेम ते नगर सारी कांतिथी युक्त हतुं. ते नगरमां पुन्नाग- उत्तम पुरुषो गजेंद्रना जेवा भद्र जातिना "हता. जेम गजेंद्रो दाशाली - मदथी शोभावनारा होय छे, तेम ते पुरुषो दानकर्म 1. जेमना काम - इच्छाओ पूरी न थाय तेवा अथवा निष्काम. 2. पुरुषपक्षे अप्रिय - प्रिया रहित अने स्त्रीपक्षे प्रिय रहित. 3. शूर एटले शूरवीरपक्षे सूर्य. 4. शंभु- शंकर 5. चंद्रपक्षे राजा. 6. हरि - विष्णु अथवा इंद्र. 7. दीपकपक्षे सुवृत्तपात्ररूप एटले सारा गोळाकार पात्ररूप. जंबूद्वीपपक्षे - सुवृत्त - सारा आचरणवाळा पुरुषोना पात्ररूप-स्थानरूप. श्री विमलनाथ चरित्र - द्वितीय सर्ग 76
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy