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भावार्थ :- तीर्थंकर भगवान् के उपदेश को सुन कर एवं तीर्थंकरोक्त आगम के रहस्य को जानकर जो पुरुष अल्प या बहुत सब प्रकार के परिग्रह का त्याग कर देते हैं वे अपरिग्रही होते हैं । जो अपरिग्रह हैं उन्हें तप संयम में पराक्रम करना चाहिए । स्वयं तीर्थंकर भगवान् फरमाते हैं कि यह आर्हत् दर्शन ज्ञान, दर्शन, चारित्र रूप तथा समभावमय है। इसमें मन और इन्द्रियों का विजय मोक्षार्थियों का कर्त्तव्य बताया गया है। ऐसे इस वीतराग प्रतिपादित धर्म में स्थित होकर जिस प्रकार कर्मो का क्षय किया जाता है वैसा अन्य धर्मो में नहीं क्योंकि अन्यधर्मो में कर्मक्षपण का सम्यक् उपाय नहीं बतलाया गया है । अतः साक्षात् तीर्थंकर भगवान् फरमाते हैं कि मैंने भी इसी धर्म में स्थित होकर विशिष्ट तप के द्वारा कर्मों का क्षय किया है । इसलिए दूसरे मोक्षार्थियों को भी ऐसा ही करना चाहिए । संयम के अनुष्ठान और तपस्या में अपने पराक्रम को नहीं छिपाना चाहिए ॥ १५१॥ कञ्चैवंभूतः स्यादित्याह -
जे पुबुट्टाई णो पच्छाणिवाई, जे पुबुट्ठाई पच्छाणिवाई, जे णो पुबुट्ठाई णो पच्छाणिवाई, सेवि तारिसिए सिया, जे परिण्णाय लोगमण्णेसयंति
॥१५२॥ . . यः पूर्वोत्थायी नो पश्चान्निपाती-सिंहतया निष्क्रान्तः सिंहतया विहारी । यः पूवोत्थायी पश्चानिपाती - नन्दिषेणवत् । तृतीयभङ्गस्य चाभावादनुपादानं स चायम्-जे नो पुबुट्ठायी पच्छानिवाती । यो नो पूर्वोत्थायी नो पश्चानिपाती-चतुर्थभङ्गोऽयं सम्यग्विरतेरभावात् गृहस्थाः शाक्यादयो वा तेषामाश्रवद्वाराणामुभयेषामप्यसंवृतत्वात् उदायिनृपमारकवत् सोऽपि तादृशः स्यात् शाक्यादयोऽपि गृहस्थतुल्या एव । ये- स्वयूथ्याः पार्श्वस्थादयो उभयपरिज्ञया लोकं परिज्ञाय पुनः पचनपाचनाद्यर्थ तमेव लोकमन्वेषयन्ति तेऽपि गृहस्थतुल्या एवं भवेयुरिति ॥१५२॥ ___अन्वयार्थ :- जे - 50 पु३५ पुबुट्टाई - ५॥ संयमने भाग२ रीने णो पच्छाणिवाई - ५७१५. संयममाथी पडतो नथी. जे - 15 पु३५ पुबुट्ठाई - पडेci संयभने १२ अरीने पच्छाणिवाई - ५छी पतित 25 14 छ, जे - 505 णो पुबुट्ठाई - ५८॥ संयमनो स्वी७५२ ५९ ४२ता नथी भने णो पच्छाणिवाई - पाणथा पतित ५५. थता नथी, सेवि - तेसो ५५५ तारिसिए - तारिसए - ते प्रमाण ४ सिया - जे जे - * परिण्णाय - त्या रीने ५४ी लोगं - दोन अण्णेसयंति - अणुस्सित्ता - अन्वेष९५ ४३
ભાવાર્થ :- કોઈ મનુષ્ય સંસારના સ્વરૂપને ઓળખીને, સારી રીતેં જાણીને સિંહની સમાન વીરતાપૂર્વક ઘરને (સંસારને) છોડીને દીક્ષા લે છે અને સિંહના સમાન
(१७४ )px0/ONDONOIDROIDROIDROIDXOIDROIDROIDROIDROIDIDIDIOIDD | श्री आचारांग सूत्र