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શ્રી સિદ્ધહેમચન્દ્રશબ્દાનુશાસનસૂત્રાકારાઘનુક્રમણિકા [ પ૮૩
सूत्रम्। सूत्राङ्क। । सूत्रम्। सूत्राङ्क। चरफलाम् ॥४-१-५३ ॥ | चित्रे ॥ ६-४-१९ ॥ चराचरफला० ॥ ४-१-१३ ॥ | चिरपरुत् ॥ ५-३-८५ ॥ चरेराङस्त्वगुरों ॥५-१-३१॥ चिस्फुरोनवा ॥४-२-१२ ॥ चरेष्टः ॥ ५-१-१३८ ॥ चीवरात्परिधार्जने ॥३-४-४१॥ चर्मण्यञ् ॥ ७-१-४५ ॥ चुरादिभ्यो णिच् ॥३-४-१७॥ चर्मण्वत्य-त् । २-१-९६ ॥ चूडादिभ्योऽण् ॥६-४-११९॥ चर्मशुनः चे ॥ ७-४-६४ ॥ चूर्णमुद्रा-णौ ॥ ६-४ ७ ॥ चमिर्मि-रात् ॥६-१-११२ ॥ चेः किवां ॥४-१-३६ ॥ चादरात्पूरेः ॥५-४-५६ ॥ चेलार्थानोपेः ॥ ५-४-५८ ॥ चल शब्दार्था-त् ॥५-२-४३॥ चैत्रीकार्तिकी०॥ ६-२-१०० ॥ चल्याहारार्थङ० ॥३-३-२०८।। चोरादेः ॥ ७-१-७३ ॥ चवर्ग-हारे ॥ ७-३-९८ ॥ च्चौ क्वचित् ॥ ३-२-६० ॥ वहणः शाठये ॥ ४-२-३१ ।। व्यर्थे का० ॥ ५-३-१४० ॥ चातुर्मास्य० ॥ ६-४-८५ ॥ व्यथ भृशादे:०॥३-४-२९॥ चादयाऽसत्त्वे ॥ १-१-३१ ॥ छगलिनो० ॥ ६-३-१८५ ॥ चादिः-नाङ् ॥ १-२-३६ ॥ छादिबलेरेयण ॥ ७-१-४७ ॥ चायः कीः ॥४-१-८६ ॥ छदेरिस्मन्० ॥४-२-३३ ॥ चार्थ द्वन्द्वः० ॥३-१-११७ ॥ छन्दसो यः ॥ ६-३-१४७ ॥ चाहहवैवयोगे ॥ २-१-२९ ॥ छन्दस्यः ॥ ६-३-१९७ ॥ चिक्लिदचनसम् ॥४-१-१४॥ छन्दागौ-घे ॥ ६-३-१६६ ॥ चितिदेहा-देः ॥ ५-३-७९ ॥ | छन्दोऽधीते-चा॥७-१-१७३॥ चितीवार्थ ॥ ७-४-९३ ॥ छन्दो नाम्नि ॥ ५-३-७० ॥ चितेः कचि ॥ ३-२-८३ ॥ छाशोर्वा ॥ ४-४-१२ ॥ चित्तेवा ।। ४-२-४१ ॥ छेदादेनित्यम् ॥ ६-४-१८२ ॥ चित्रारेवती० ॥ ६-३-१०८ ॥ | जङ्गल-वो ॥ ७-४-२४ ॥