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________________ ' ६ . श्री दशकालिकसूत्र भाषांतर वमन करना, वस्तिकर्म (अपान मार्ग से तैल आदि चढ़ाना), विरेचन करना, आंखों में अंजन आँजना, दांतों को दतौन से घिसना, शरीर में तैल आदि की मालिश, शरीर को आभूषणादि से अलंकृत करना आदि श्रमण के लिए वर्ण्य है। अञ्जनाभ्यञ्जनोन्मदस्त्त्र्यवलेखामिषं मधु । स्रग्गन्धलेपालंकारांस्त्यजेयुर्ये धृतव्रताः ॥ - भागवत ७।१२।१२ जो ब्रह्मचर्य का व्रत धारण करें, उन्हें चाहिए कि वे सुरमा या तेल न लगावें। उबटन न मलें। स्त्रियों के चित्र न बनावें। मांस और मद्य से कोई सम्बन्ध न रक्खें। फूलों के हार, इत्र-फूलेल, चन्दन और आभूषणों का त्याग कर दें। यह विधान ब्रह्मचारी के लिए है। दशवकालिक के तीसरे अध्ययन की बारहवीं गाथा और मनुस्मृति के छठे अध्ययन के तेवीसवें श्लोक की समानता देखिए - आयावयंति गिम्हेसु, हेमंतेसु अवाउडा । वासासु पडिसंलीणा, संजया सुसमाहिया ॥ – दशवकालिक ३।१२ सुसमाहित निर्ग्रन्थ ग्रीष्म में सूर्य की आतापना लेते हैं, हेमन्त में खुले बदन रहते हैं और वर्षा में प्रतिसंलीन होते हैं - एक स्थान में रहते हैं। ग्रीष्मे पञ्चतापास्तु स्याद्वर्षास्वभ्रावकाशिकः।। आर्द्रवासास्तु हेमन्ते, क्रमशो वर्धयंस्तपः। - मनुस्मृति अ. ६, श्लोक २३ ग्रीष्म में पंचाग्नि से तपे, वर्षा में खुले मैदान में रहे और हेमन्त में भीगे वस्त्र पहनकर क्रमशः तपस्या की वृद्धि करे। यह विधान वानप्रस्थाश्रम को धारण करने वाले साधक के लिए है। दशवकालिक के चतुर्थ अध्ययन की सातवीं गाथा है - .. कहं चरे कह चिढे कहमासे कहं सए। .. कहं भुंजतो भासंतो पावकम्मं न बंधई । कैसे चले? कैसे खड़ा रहे? कैसे बैठे? कैसे सोए? कैसे खाए? कैसे बोले? जिससे पाप-कर्म का बन्ध न हो। श्रीमद्भगवद्गीता में स्थितप्रज्ञ के विषय में पूछा गया है। उपरोक्त गाथा की इस श्लोक से तुलना कीजिए स्थितप्रज्ञस्य का भाषा, समाधिस्थस्य केशव! स्थितधीः किं प्रभाषेत, किमासीत व्रजेत किम्॥ – श्रीमद्भगवद्गीता, अ. २, श्लोक ५४ हे केशव! समाधि में स्थित स्थितप्रज्ञ के क्या लक्षण हैं? और स्थिरबुद्धि पुरुष कैसे बोलता है? कैसे बैठता है? कैसे चलता है? दशवकालिक के चतुर्थ अध्ययन की आठवीं गाथा है - जयं चरे चयं चिडे, जयमासे जयं सए। जयं भंजन्तो भासन्तो. पावकम्मं न बंधई।। श्रीर
SR No.005784
Book TitleDashvaikalik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_dashvaikalik
File Size9 MB
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