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દશવૈકાલિકસૂત્ર ભાગ-૧
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पृथ्वी अप् ते वायु वनस्पति बेई. तेइ चंड. पंचेन्द्रिय
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पुस्तक दृष्य
@ गंडी झा जीवन संघट्टणादि मन-वचन-काया थी न करतु. (3) कच्छवी ॐ मुट्ठि ६ संपुट फलक Q छिवाडी
बाह्य (६)
अनदान
इत्वर (उपवास थी (६मास सुधी)
जीव
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यावत्कथिक
तप
उपकरण
(जिनकल्पी अने
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पादप्रोगमन इक्षित सरण भक्त परिक्षा
भवि
क्रोधादि नुं त्याग
भक्त-पाण
नी तुलना करता उपकरण अल्प करता जाये.
वृत्तिसंक्षेप
अभिग्रह रूप
(अमुक द्रव्य ने लईश)
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रसत्याग विगई त्याग
संजम
व्याघातवत्
निर्व्याघातबत्
चुटु- २८
/ चौविहार
(सिंहादि वखते) (सूत्रार्थ परीने कती) (रचना को आविहार) (बाजा द्वारा पण हलन चलनादि क
पछी अनशन आहे.
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उनोदरी
संलीनता
श कषाय
(६)
शुभमां जोडवी उदिरणा न
थवा देवी
अशुभ थी अटका
उदय थाय
तो रोक
ऋज्वी प्रत्यागति
कार्यक्लेश
श्रीरामनाथ, लोचोदि
योगे
शुभ योग माँ
प्रवृत्ति
मध्य १ डोठ5
मांधी
अशुभ निवृत्तिः
2 अजीव
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(स्थवीर कल्पी ने ) अभ्याहार अपार्थ दुर्भाग प्राप्त विचित् न्यून
(उपकरण क्यारे न शचवा.
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भाव
दृष्य
कॉल
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अमाप्त प्राप्त अतीत गातो, होतो होय विगेरे अप्रीति न थाय तेरीते
४ पू
र अजा एड गो महिषी मृग
अमतिलेखित दुष्प्रतिलेखित
+ 9 तूली पति उवद्याणण @ कोयवि @ गंडुवधाण @ पाचा आलिंगिणि ® णवत बुदादिगाली
५) मसूर * चर्म
हण तृण * धर्म
शाली आदि
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राज्यक
अपवाद पदे
तालिका
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विविक्तं चर्या
स्त्री आदि थी रहित वसति मां
एषणीय पायादि नुं ग्रहण कर --
()खल्लक
वर्ध
® कोशक
@ कृति
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गोमूत्रिका पता जी जेम पेरा अर्द्धपैरा अभ्यंतरशंबुक बाल्यशंबुक
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