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________________ न मो 35 8, 21 जि न शा स य દશવૈકાલિકસૂત્ર ભાગ-૧ 8 द्व ६-७ J पृथ्वी अप् ते वायु वनस्पति बेई. तेइ चंड. पंचेन्द्रिय t व पुस्तक दृष्य @ गंडी झा जीवन संघट्टणादि मन-वचन-काया थी न करतु. (3) कच्छवी ॐ मुट्ठि ६ संपुट फलक Q छिवाडी बाह्य (६) अनदान इत्वर (उपवास थी (६मास सुधी) जीव " यावत्कथिक तप उपकरण (जिनकल्पी अने 11 पादप्रोगमन इक्षित सरण भक्त परिक्षा भवि क्रोधादि नुं त्याग भक्त-पाण नी तुलना करता उपकरण अल्प करता जाये. वृत्तिसंक्षेप अभिग्रह रूप (अमुक द्रव्य ने लईश) M पी रसत्याग विगई त्याग संजम व्याघातवत् निर्व्याघातबत् चुटु- २८ / चौविहार (सिंहादि वखते) (सूत्रार्थ परीने कती) (रचना को आविहार) (बाजा द्वारा पण हलन चलनादि क पछी अनशन आहे. मिः उनोदरी संलीनता श कषाय (६) शुभमां जोडवी उदिरणा न थवा देवी अशुभ थी अटका उदय थाय तो रोक ऋज्वी प्रत्यागति कार्यक्लेश श्रीरामनाथ, लोचोदि योगे शुभ योग माँ प्रवृत्ति मध्य १ डोठ5 मांधी अशुभ निवृत्तिः 2 अजीव 2 र ३ (स्थवीर कल्पी ने ) अभ्याहार अपार्थ दुर्भाग प्राप्त विचित् न्यून (उपकरण क्यारे न शचवा. () () () () () भाव दृष्य कॉल श अमाप्त प्राप्त अतीत गातो, होतो होय विगेरे अप्रीति न थाय तेरीते ४ पू र अजा एड गो महिषी मृग अमतिलेखित दुष्प्रतिलेखित + 9 तूली पति उवद्याणण @ कोयवि @ गंडुवधाण @ पाचा‍ आलिंगिणि ® णवत बुदादिगाली ५) मसूर * चर्म हण तृण * धर्म शाली आदि व राज्यक अपवाद पदे तालिका ४ विविक्तं चर्या स्त्री आदि थी रहित वसति मां एषणीय पायादि नुं ग्रहण कर -- ()खल्लक वर्ध ® कोशक @ कृति ७ X गोमूत्रिका पता जी जेम पेरा अर्द्धपैरा अभ्यंतरशंबुक बाल्यशंबुक * htt 2 H जि 1515 न शा 5 स ना य * * *
SR No.005763
Book TitleDashvaikalik Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunhansvijay, Bhavyasundarvijay
PublisherKamal Prakashan Trust
Publication Year2009
Total Pages366
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_dashvaikalik
File Size8 MB
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