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________________ परिशिष्ट-५ . तत्त्वार्थाधिगमसूत्राणां बीजभूत “आगम सूत्राणि' . ३३० तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ४५ उरालिअसरीरे णं भंते कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - समुच्छिम .......... गब्भववंतिय। (प्रज्ञा. पद - २१) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ४६ णेरइयाणं दो सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा - अभंतरगे चेव बाहिरगे चेव, अब्भंतरए कम्मए बाहिरए वेउव्विए, एवं देवाणं। (स्था. स्थान - २, उद्दे. - १, सूत्र - ७५) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ४७ वेउव्वियलद्धीए। (औपपातिक सूत्र - ४०) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ४८ तिहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे संखित्तविउलतेउलेस्से भवति, तं जहा - आयावणताते १ खंतिखमाते २ अपाणगेणं तवो कम्मेणं ३.। (स्था. स्थान - ३, उद्दे. - ३, सूत्र - १८२) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ४९ आहारकसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगागारे पण्णत्ते ...... पमत्तसंजय सम्मदिट्टि ...... समचउरंससंठाणसंठिए पण्णत्ते । (प्रज्ञा. पद - २१, सूत्र - २७३) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ५० तिविहा नपुंसगा पण्णत्ता, तं जहा - णेरतियनपुंसगा तिरिक्खजोणियनपुंसगा मणुस्सनपुंसगा। (स्था. स्थान - ३, उद्दे. - १, सूत्र - १३१) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ५१ ___ असुरकुमारा णं भंते ! किं इत्थीवेया पुरिसवेया नपुंसगवेया ? गोयमा ! इत्थीवेया पुरिसवेया णो नपुंसगवेया ...... जहा असुरकुमारा तहा वाणमंतरा जोइसिय वेमाणियावि। (समवायाङ्ग वेदाधिकरण सूत्र - १५६) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ५२ दो अहाउयं पालेंति देवाण चेव णेरइयाणं चेव। (स्था. स्थान - २, उद्दे. - ३, सूत्र - ७९) देवा नेरइयावि य असंखवासाउया य तिरमणुआ। उत्तमपुरिसा य तहा चरम सरीरा य निरुवक्कमा। (इति स्थानाङ्गवृत्तौ)
SR No.005750
Book TitleTattvarthadhigam Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhvijay
PublisherKeshar Chandra Prabhav Hem Granthmala
Publication Year2016
Total Pages376
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
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