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एकम् = लाभ रहित बीज/दूज = विपत्ति कारक तीज = अर्थ सिद्धि , लक्ष्य सिद्धि
चौथ = अयोग्य पंचमी = विजय दात्री
नवमी = अयोग्य दशमी =विहार (प्रयाण) के लिए शुभ एकादशी = आरोग्य के लिए कल्याणकारी द्वादशी = अयोग्य त्रयोदशी = मित्र को वश
करनेवाली चतुर्दशी = अयोग्य पूर्णिमा = अयोग्य
छठ = अयोग्य सप्तमी = गुण वृद्धि में सहायक अष्टमी = अयोग्य
एकम् , तीज, पंचमी, छठ, अष्टमी , दशमी, एकादशी, द्वादशी और पूर्णिमा ये तिथियां दीक्षा प्रदान के लिए सुयोग्य है ।
एकम् , बीज, दूज, छठ, सप्तमी, एकादशी, द्वादशी, ये तिथियां व्रत स्वीकारने के लिए उत्तम बताई गई है ।
पांचमी, दशमी, पूर्णिमा ये तिथियां अनशन करने के लिए श्रेष्ठ हैं | (२) नक्षत्र और उनके कार्य फल
नक्षत्र की कुल संख्या २७ हैं एवं इन नक्षत्रों का चयन तारों के आधार पर किया जाता है। • हस्त, अभिजित्, पुष्य इन नक्षत्रों में नए कार्य की शुरुआत की जा सकती है ।
अनुराधा-रेवती-चित्रा, मृगशीर्ष इन नक्षत्रों में बाल एवं वृद्ध मुनियों के लिए उपकरणों का संग्रह किया जा सकता है और गोचरी जाने के लिए भी ये नक्षत्र उत्तम हैं। आर्द्रा, ज्येष्ट, आश्लेष और मूल ये नक्षत्र प्रतिमा वहन करने में तथा
उपसर्ग सहन करने में अत्यंत हितकारी है । • मघा/-भरणी-पूर्वा-फाल्गुनी, पूर्वाषाढा, पूर्वाभाद्रपदा, इन नक्षत्रों में यदि
बाह्य और अभ्यंतर तप किए जाएं तो भरपूर सफलता मिल सकती है |
નિર્દોષતાનું નિશાન-આગમ
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