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से जाग रही थी कि पू. आगमोद्धारक श्री ने हमें जो आगम विरासत | आगम खजाना प्रदान किया है उसका ज्यादा नहीं तो आंशिक / रेशेभर विनियोग तो श्रद्धालुओं में अवश्य ही किया जाए । यदि पालीताणा पधारे सुविशाल चतुर्विध संघ ने इस प्रसादी का क्षणभर के लिए भी मधुर आस्वाद कर लिया तो यह अर्धशताब्दी वर्ष सार्थक हो जाएगा।
पू. गुरुदेवश्री की तमन्ना को आयोजकों ने मूर्त रुप दिया । देखते ही देखते भादरवा सुदी १ के शुभ दिन परम पूज्य सुविशाल गच्छाधिपति सूर्योदय सागरसूरीश्वरजी म. की सन्निधि में इस कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ |
और अभी तक हमने ३१ आगमों का परिचय किया है । कल पूज्य विद्वान मुनिश्री पूर्णचंद्रविजयजी म. के मुरवारविन्द से ५ पयन्ना सूत्रों का परिचय प्राप्त किया । आज शेष ५ पयन्ना सूत्रों का परिचय करवाने की जवाबदारी मुझे दी गई है।
दरअसल में, श्रुतवान् श्रमण-श्रमणी भगवंत और श्रद्धावान श्रावकश्राविका के बीच में 'आगमों का परिचय'' कराने की मेरी कोई हैसियत है ही नहीं, लेकिन गुरुदेव श्री की आज्ञा में संपूर्ण आस्था होने के कारण आप लोगों के बीच उपस्थित हूँ।
'छोटे मुंह बड़ी बात' करने में गलतियां होने की पूरी गुंजाईश है लेकिन उम्मीद है कि शिष्ट और शालीन सभा मुझे स्नेह के साथ स्वीकार करेगी । अस्तु, पयन्ना को हम हमारी सीधी सादी भाषा में Personal Notes (पर्सनल नोट्स) कह सकते हैं | तारक परमात्मा महावीर प्रभु के १४००० शिष्यों के १४००० पयन्ना पूर्व काल में थे । वर्तमान में मुश्किल से २५-२७ पयन्ना उपलब्ध हैं। उनमें से १० पयन्ना जी का समावेश ४५ आगमों में किया गया है | आज जो पयन्ना हमें समझना है उनके नाम इस प्रकार हैं -
(६) संस्तारक पयन्ना (७) गच्छाचार पयन्ना (८) गणिविज्जा पयन्ना (९) देविंदत्थुई पयन्ना (१०) मरण समाधि पयन्ना.
समझने में सरलता हो इस उद्देश्य से थोड़ा सा क्रम परिवर्तन किया हैं संस्तारक पयन्ना जो सबसे पहले है उसे हम क्रमांक ९ पर मरण समाधि
पयन्ना के पहले समझेंगे । क्योंकि संस्तारक एवं मरण समाधि दोनों ही 2. पयन्ना की विषय वस्तु लगभग एक ही हैं |
ધ્યાનનો ધ્રુવતારો-આગમ
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