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________________ र्नाि भाई, हार्थी और हार सपि दर्न हेतु कहा | किन्तु चेडा महाराजा ने स्पष्ट कहा, 'जैसा तू मेरी बेटी चेलना का पुत्र है वैसे ही हल्ल विहल्ल भी मेरी उसी बेटी के पुत्र होने के नाते तुम तीनों मेरे लिए समान हो । वे मेरी शरण में आए हैं । अतः मैं अपने प्राण के भोग भी हल्ल विहल्ल को नहीं सोपंगा ।' इस पर से कोणिक राजा ने वैशाली नगरी पर आक्रमण किया । महाभयंकर रथ मुशल युद्ध प्रारम्भ हुआ । उसमें चेडा महाराजा के एक एक बाण-तीर से कोणिक राजा के कालकुमार आदि दस भाई दस दिन में उस युद्ध में मारे गए । उस समय श्रमण भगवान महावीर सदेह मगधदेश में विचरण कर रहे थे । कालकुमार की माता काली रानी ने भगवान महावीर से पूछा, 'भगवन्त ! मैं अपने पुत्र कालकुमार को जीवित देखुंगी या नहीं ?" भगवान ने प्रत्युत्तर देते हुए कहा - 'कालकुमार युद्ध में चेडा महाराजा के हाथ मारा गया है। शोकमग्न रानी अपने महल पर चली गई तब प्रथम गणधरदेव गौतम ने प्रभु से पूछा - वह कालकुमार मरकर कहाँ गया ? __ भगवान बोले - 'कालकुमार मरकर चोथी पंकप्रभा नारकी के हेमाभ नरकावास में पैदा हुआ है । वहाँ उसकी आयु दस सागरोपम की है ।' इत्यादि विवरण विस्तार से तथा कोणिक राजा के जन्म से लेकर श्रेणिक राजा के मृत्यु तक का इतिहास भी विस्तार से इस कल्पिका निरयावालिका सूत्र में बताया गया है। अन्य नौ अध्ययन संक्षिप्त में कालकुमार के भाईयों के नाम से है । एक समान बात होने से प्रथम अध्ययन से समझने की भलामन भी की है | कल्पावतंसिका सूत्र यह आगम काफी संक्षेप में है । इसमें खास करके श्रेणिक महाराजा के दश पौत्र (पुत्र के पुत्र) पद्मकुमार, महापद्मकुमार आदि भगवान् महावीर के पास जाकर देशना सुनकर वैराग्य से वासित हुए । और दसों ही पौत्र समाधि मृत्यु प्राप्त करके देवलोक में गए । वहां से महाविदेह क्षेत्र में जन्म धारन OM करके मोक्ष प्राप्त करेंगें । ये सारी बातें, रसप्रद ढंग से इस आगम में PO बताई गई है। હું ભકતનું સમર્પણ-આગમ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005576
Book TitleJinagam Sharanam Mama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgamoddharak Pratishthan
PublisherAgamoddharak Pratishthan
Publication Year
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size13 MB
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