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________________ का जीवन चरित्र है । इन कुमारों के नाम इनकी माता काली आदि श्रेणिक राजा की दस रानियों पर से ही रखे गये थे और यही कारण है कि दसों अध्ययन के नाम भी इन कुमारों के नाम पर ही रखे गए हैं । इस सूत्र में भी प्रश्नोत्तर पद्धति अपनाई गई है | मात्र फर्क इतना है कि प्रश्नकर्ता केवली जम्बूस्वामी जी महाराजा है और उत्तर प्रदाता आर्य सुधर्मास्वामीजी महाराजा हैं जो कि भगवान महावीर के पंचम गणधर हैं | . इस सूत्र के प्रारम्भ में कहा है कि पंचम गणधर श्री सुधर्मास्वामी राजगृही नगरी के गुणशील नामक यक्ष के चैत्य याने बगीचे में शीलापट्ट पर बिराजमान थे तथा श्रेणिकादि राजा प्रजा वहाँ धर्मोपदेश श्रवण के लिए आए थे । देशनान्त में अन्तिम केवली जम्बूस्वामी ने पूछा - हे स्वामी श्रमण भगवान महावीर ने निरयावालिका के प्रथम वर्ग के दस अध्ययनों के अर्थ क्या फरमाए हैं ? इस प्रश्न के उत्तर से इस कल्पिका निरयावलिका सूत्र का प्रारम्भ होता है | भगवान सुधर्मा ने प्रथम वर्ग के प्रथम अध्ययन का विस्तार से वर्णन करते हुए फरमाया - चम्पा नाम की नगरी थी वहाँ, श्रेणिक का पुत्र कोणिक राजा राज्य करता था । राजा कोणिक की रानी का नाम पद्मावती था । रानी पद्मावती ने एक बार उसके पति कोणिक से सगे भाइ हल्ल विहल्ल के पास सेचनक हाथी एवं अठ्ठारह सेर का हार देखकर अपने पति से उन दोनों वस्तुओं की याचना की । पट्टरानी पद्मावती के आग्रह से कोणिक राजा ने अपने लघुबन्धु हल्ल विहल्ल से हाथी व हार मांगे । किन्तु दोनों भाईयों ने कहा - 'हमें पिताजी एवं माताजी ने ये दोनों वस्तु दी है अतः हम तुम्हें नहीं देंगे ।' दोनों भाईयों ने उस रात्रि को सोचा - कोणिक राजा है और वह सत्ता के बल पर हम से हाथी और हार छिन लेगा । अतः दोनों भाई उस रात्रि को वैशाली नगरी चले गए । वहाँ उनके मातामह चेटक राजा राज्य करते थे । उन दोनों भाईयों ने चेटक राजा की शरण स्वीकार कर सारी विगत से चेटक राजा को वाकेफ किया । इस बात का पता जब मगधनरेश कोणिक को चला तो वह बड़ा क्रोधित हो उठा । उसने राजदूत भेजकर चेडा महाराजा से अपने aamanamaAR याjseuqa-मागम BARSAMAMMI88885 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005576
Book TitleJinagam Sharanam Mama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgamoddharak Pratishthan
PublisherAgamoddharak Pratishthan
Publication Year
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size13 MB
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