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समाचारी ग्रन्थ, श्री भगवती सूत्र के २ शतक तथा श्री प्रज्ञापना सूत्र के ३३ पदों की वाचना प्रदान की ।
वीर निर्वाण संवत् २४४७ विक्रम संवत् १९७७ में पूज्यश्री ने रतलाम (मध्यप्रदेश) में श्री भगवती सूत्र के ३३ शतकों, श्री प्रज्ञापना सूत्र के ३ पदों तथा श्री समवायांग सूत्र की आगम वाचना प्रदान की ।
पूज्यश्रीने सिर्फ पांच वर्ष की अवधि में कठोर परिश्रम उठाकर स्थानीय संघो के आग्रह पर छह स्थानों पर सात विशाल आगम वाचनाएँ प्रदान की, जिसमें कुल २६ आगम- ग्रंथों की लगभग २,३७,३०० श्लोक प्रमाण की वाचना हुई ।
__ भगवान श्री महावीर देव के निर्वाण के ९८० वर्ष के बाद श्री देवगिणि क्षमाश्रमण ने छठी आगम वाचना दी थी । तत्पश्चात् १५४१ वर्ष बाद इस विषमकाल में आगम साहित्य को सुरक्षित रखने तथा श्रमण संघ के ज्ञान की वृद्धि हेतु आगमों का मुद्रण तथा वाचना प्रदान कर भव्य प्राणियों पर अनंत उपकार करने वाले आगमोद्धारक सूरिशेखर पूज्य आचार्यदेव श्री आनंदसूरीश्वरजी महाराज को कोटि कोटि सादर वंदनं । आधार ग्रन्थ १. हरिभद्रसूरिजी कृत उपदेशपद २. स्थूलभद्र कथा ३. हेमचन्द्रसूरिजी कृत परिशिष्टपर्व ४. श्री हिमवंतस्थविरावली ५. श्री नंदिसूत्र की थेरावली ६. आवश्यक नियुक्ति आदि अन्य ग्रन्थ ७. सुर्यपुर के आगमोद्धारक गुरुमन्दिर के चित्रपट्ट ८. जैन परम्परा का इतिहास
सूर्य प्रज्ञप्ति और चन्द्र प्रज्ञप्ति का परिचय
जैन आगमों में अभी पिस्तालीस आगम विद्यामान है । उनमें ११ अंग सूत्र है १२ उपांगसूत्र हैं १० पयन्ना सूत्र हैं ६ छेदसूत्र हैं ४ मूलसूत्र है एवं २ __नंदी और अनुयोग सूत्र मिलाकर ४५ आगम होते हैं।
जो १२ उपांग है उनके अन्तरगत हमारे ये तीन आगम
- સંસ્કૃતિની પરમકૃતિ-આગમ
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