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________________ फलस्वरूप पांचवी आगम वाचना दो नाम से प्रसिद्ध हुई । उत्तरापथ के मुनियों द्वारा स्कंदिलाचार्यजी के नेतृत्व में मथुरा में संपन्न 'माथुरी वाचना' तथा दक्षिणापथ के मुनियों की सौराष्ट्र के वल्लभीपुर में नागार्जुनसूरिजी के सान्निध्य में सम्पन्न 'वल्लभी वाचना' । श्री स्कंदिलाचार्य मथुरा के निवासी थे । वे जैनधर्मीय ब्राह्मण जाति के थे । उनकी माता का नाम रूपरेखा था । उनका पूर्ववर्ती नाम सोमरथ था । उन्होंने आर्यवज्रस्वामी और आर्यरथ की परम्परा में काश्यप गोत्रवाले स्थविर आर्यसिंह के उपदेश से वैराग्य वासित हो , आर्यधर्म के पास दीक्षा अंगीकार की थी । आप ब्रह्मदीपिका शाखा के आचार्य श्री सिंहसूरि नामक वाचनाचार्य के पास आगम तथा पूर्व का ज्ञान प्राप्त कर वाचक पद से अलंकृत हुए थे । युगप्रधान यंत्र के अनुसार उनके वाचनाचार्य का समय वीर निर्वाण संवत् ८२६ का है | वल्लभीपुर में वाचना का नेतृत्व करनेवाले सुरिपुरन्दर नागार्जुनसूरिजी महाराज का जन्म वीर निर्वाण संवत् ७९३ में हुआ था । वीर निर्वाण संवत् ८०७ में आपने वैराग्य वासित होकर दीक्षा ग्रहण की थी । वीर निर्वाण संवत ८२६ में आप युगप्रधान पद पर आरूढ हुए तथा वीर निर्वाण संवत् ९०४ में १११ वर्ष की दीर्घायु में आपका स्वर्गवास हुआ । उपरोक्त दोनों वाचनाचार्यों का स्वप्न काल की भीषणता के कारण साकार नहीं हुआ । क्योंकि अंत तक दोनों एक जगह पर एकत्रित नहीं हो पाये । किंतु उनकी भावना को वाचनाचार्यों के उत्तराधिकारी द्वय शिष्यों ने अवश्य साकार किया । छठी वाचना ___वाचकवंश के वाचनाचार्य आचार्य स्कन्दिलसूरिजी महाराज ने मथुरा में वाचना दी थी । उनके शिष्यरत्न आचार्य श्री देवगिणि श्रमाश्रमण ने तथा वल्लभीपुर के वाचनाचार्य श्री नागार्जुनसूरिजी के शिष्य आचार्य श्री कालकसूरिजी ने मिलकर अपने गुरुदेव की भावना पूर्ण करने तथा दोनों स्थानों पर स्वीकृत वाचनाओं के पाठों को एक करने हेतु वल्लभीपुर में पुनः छठी आगम वाचना की । प्रस्तुत वाचना के लिए आचार्य श्री देवगिणि क्षमाश्रमण तथा आचार्य श्री कालकसूरिजी महाराज के शत्रुजय महातीर्थ के अधिष्ठायकदेव कपर्दि यक्ष की सक्रिय सहायता लेकर... आचार्यों की उपस्थिति में सानन्द सम्पन्न कराई थी। નિર્જરાનું નિર્જર-આગમ HINDI Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005576
Book TitleJinagam Sharanam Mama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgamoddharak Pratishthan
PublisherAgamoddharak Pratishthan
Publication Year
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size13 MB
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