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________________ २. चरणकरणानुयोग - ग्यारह अंग, छेद सूत्र, महाकल्प उपांग और मूलसूत्र ३. गणितानुयोग - सूर्य प्रज्ञप्ति, चन्द्र प्रज्ञप्ति ४. उत्तराध्ययन धर्मकथानुयोग - ऋषि भाषित, चौथी आगम वाचना वीर निर्वाण संवत् ५१२ के करीब दशपुरनगर (आज का मन्दसौर, म. प्र. ) में सोल्लास सम्पन्न हुई । पांचवी आगम वाचना वीर निर्वाण संवत् ८३० से ८४० के बीच पांचवी आगम वाचना विभिन्न दो स्थानो पर अलग अलग दो आचार्यों के सान्निध्य में सम्पन्न हुई । उन दिनों सौराष्ट्र में जैन धर्म और बौद्ध धर्म के बीच भीषण संघर्ष चल रहा था । जब कि मध्य भारत में हुण और गुप्त परस्पर भयंकर युद्ध खेल रहे थे । श्रमण संघ भी राष्ट्रीय आपातकाल में भस्म रहा था । श्रुतधरों की संख्या अत्यधिक कम हो गई । आगम साहित्य नष्ट होने की कगार पर आ पहुँचा था । ऐसी विषम परिस्थिति में उत्तरापथ के श्रमण भगवन्तों को आचार्य श्री स्कंदिलाचार्य एवम् दक्षिणापथ के श्रमणों को स्कंदिलाचार्य के समकालीन नागेन्द्रवंशीय श्री हिमवंतक्षमाश्रमण के शिष्य श्री नागार्जुनसूरिजी के नेतृत्व में संगठित किया गया और तदनुसार उत्तरापथ के श्रमण भगवन्त क्रमशः मथुरा नगरी में तथा दक्षिणापथ के मुनि भगवन्त वल्लभीपुर में एकत्रित हुए । वहाँ आगमों को संकलित दुबारा किया गया । फिर भी आगम वाचना सम्बन्धित एक प्रश्न अंत कर अनुत्तरित ही रहा और वह यह कि एक ही समय दो स्थानों पर आगम वाचना क्यों दी गई ? प्राचीनकाल की तरह सभी मुनिवरों की एक बृहत् आगम वाचना का आयोजन क्यों नहीं किया गया ? कारण स्पष्ट है । भारतवर्ष में उन दिनों सब जगह अराजकता व्याप्त थी । फलतः मुनिवरों के विहार क्षेत्र और पद यात्राओं में अनेकविध बाधाएँ उत्पन्न हो गयी थी । प्रत्येक राज्य युद्ध के कराल काल का सामना कर रहा था । अतः सम्पूर्ण साधु समुदाय का किसी एक स्थान पर एकत्रित होना प्रायः असंभव ही था । ठीक वैसे ही प्रस्तुत वाचनाओं के लिए सम्बंधित आचार्यदेव की सम्मति अवश्य ले ली गई थी । ૬૬ उपरोक्त प्रस्ताव ही इस बात की साक्ष्य है कि राष्ट्र की तत्कालीन स्थिति कितनी भयंकर होगी... ? Jain Education International આશ્રવનો પરાભવ-આગમ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005576
Book TitleJinagam Sharanam Mama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgamoddharak Pratishthan
PublisherAgamoddharak Pratishthan
Publication Year
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size13 MB
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