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मिल सकती - ऐसे प्रचण्ड विजयी और पवित्र मुकुटमण धर्म का छीछा लेदर कर देने से कैसे शान्ति प्राप्ति हो सकेगी ।
अतः प्यारे भाईयों ! उठो जागो अपने को चैतन्य करो, समय बहुत बीत गया और सोचा सारा संसार पर कन्ट्रोल करने बाले हम अपने मन पर कन्ट्रोल नहीं कर पाते । जिस श्वास और शक्ति के बल पर हम दर्रा रहें हैं, वह श्वास और शक्ति हमसे छीन ली जायगी और हमें अपने कर्मों का फल भोगना पड़ेगा,
एक बात सोचने कि हैं कि इंग्रेजी की शिक्षा हमको भी मिली है और मुसलमानों को भी मिली है, पर इंग्रेजी शिक्षा प्राप्त
कर
ओर
मुसलमान कट्टर मुसलमान बने हिंदु इंग्रेजी शिक्षा प्राप्तकर दुलमुल हो गये । कौशिला में आप जाकर देखिये, जब समय आ जायगा तब मुसलमान मेम्बर होम मेम्बर से कहते हैं कि मुआफ कीजिये, दश मिनिट की छुट्टी दीजिये, नमाज का वक्त आगया- होम मेम्बरों में यह दम नहीं कि उनकी मांग को ठुकरा सकें । मुसलमान तो धर्म के इतने भक्त, पर हिन्दू मेम्बरों में एक दा का छोड़कर शेष में से किसी ने भी भूलकर अपने जन्म के एक दिन भी संध्या पूजा न की होगी । सिद्ध हो गया कि हिन्दू धर्म ला मार डालना हीं हिन्दू लीडरे ने देश की उन्नति समझा है ।
गंभीरता से पढ़ें
आज यन्त्रवाद की पगडण्डी पर बढ़ते मानव के जीवनका प्रत्येक चरण यन्त्रवत् गतिशीलता का अधिकाधिक अनुभव कर रहा है, किन्तु साथ ही जडता और मण्डलाकार घूमने की क्रिया के कारण लक्ष्यहीनता बढ़ती जा रही है ।
Satara प्रत्येक पक्ष की सभी पद्धतियां केन्द्र पर ध्यान अथवा विशिष्ट आदर्श रखने से सरलता से ज्ञात हो जाती हैं ।
तथा कथित स्वराज्य ( ? ) भारत को प्राप्त हुए आज दो दशक बीत चुके हैं, तथापि व्यावहारिक जीवन के एक भी क्षेत्र में वास्तविक सफलता प्राप्त नहीं हो पाई है ।
उसमें भी शिक्षाका क्षेत्र तो विचार करने पर बहुत ही दयनीय स्थिति का प्रतीत होता है ।
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