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पहुंचने की डींग हांकना गूलर के पुष्प के ही घासों में दूध कहां से आ जाता है दूध में समान हैं, विज्ञान में मनुष्य चाहे जितनी से घी केसे बनजाता है, फूलों मे शहद कहां उन्नति करले इस पार्थिव शरीर से यन्त्रो के से भर जाता है, ईखमे रस कौन भर देता है। उपकरण से इन दिव्य लोकों में जाना यदि कहीं दूध, दही, घृत, मधु, शर्कअसम्भव है।
रारस और शुद्ध जल के समुद्र न होते तो ___ हां हमारे यहां सात द्वीपों के ही समान हमे ये वस्तुए मिलती ही नहीं। सात समुद्रो की भी कल्पना है, वे सात सूर्य देव अपनी किरणों से सभी समुद्रो समुद्र दूध, घृत, इखका रस, मधु, शुद्ध जल से ये वस्तुयें खींच लाते है और उन्हे वर्षा और खारे जल के है।
मे बरसा देते है तभी ये वस्तुए हमे मिल - आप कहेंगे कि आज विज्ञान ने इतनी जाती है। ... उन्नति कर ली है, वायुयान द्वारा लोग चन्द्र- यदि खारे समुद्रके अतिरिक्त इन वस्तुओं लोक तक जाने का प्रयत्न कर रहे है, उनको के समुद्र न होते, तो हमें सूर्य द्वारा केवल तो कहीं दूध, दही के समुद्र दिखायी नहीं सारा नमक ही नमक प्राप्त होता। क्योंकि दिये, यह पुराणों की कोरी कल्पना ही सूर्य जैसे जलको खींचेगा, वैसा ही बरसावेगा मात्र है, ऐसे कोई समुद्र होते तो कहीं तो खारा समुद्र समीप होने से हमारे पदार्थो । किसी वैज्ञानिक को दिखायी देते । हमें तो मे क्षार अंश अधिक रहता है। केवल खारां समुद्र ही दिखायी देता है शुद्ध जल का समुद्र उस से कुछ दूर है चारों ओर ।
___ अतः मीठा पानी उससे कम मिलता है इसी पुराणों के अनुसार जम्बूद्वीप के चारो प्रकार सूर्य अपनी किरणों शे सातों समुद्रो ओर तो खारा ही समुद्र है, अभीतक पुरे के जल लाकर. बरसाता है, उन्हीं से हमें जम्बूद्वीप के ८ खण्डों का ही पता नहीं चला। इस भरतखण्ड में दूध, दही, घृत, शहद, यही नही पूरे भारतवर्ष के सभी द्वीपों का ईखकारस, मधुर जल तथा नमक और नमजैसा कि पुराणों में वर्णित है, उनकी भी कीन पदार्थ प्राप्त होते हैं। पूरी खाज नहीं हुई, तब आपको ये दूध इस भारतवर्ष के अनेक पर्वतों में से दही के समुद्र कहां दिखायी देंगे। हिमालय पर्वत मुख्य है इसके लिए कुमार. - जब जम्बूद्वीप से आगे जाओ तब ये संभव में कहा गया हैसमुद्र दिखाई देगे सो साधारण आदमियों ___ अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा को नहीं योग से जो स्थूल शरीर से ऊंचे
हिमालयो नाम नगाधिरानः । उठ गये है उन्हें ही दिखायी देगे।
पूर्वापरो तोयनिधि वगाह्य ____आप अनुमान करें सूर्य समुद्ग से जल
स्थितः पृथिव्या इव मानदण्डः ॥ लेकर बरसाता है, समुद्र का जल तो खारा अर्थात् उत्तर दिशा में देव स्वरूप पर्वतों है, हमें मीठा जल कहां से मिलता है का राजा हिमालय है, वह पूर्व से पश्चिम
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