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है" दिया है उसका तारागोंके ध्रुव होते इसका खुलासा इस प्रकार है कि इस 'संते” इतना भाग प्रसिद्ध हो गया तो फिर विषय में दो पक्ष है । केवल " उदयास्त प्रतीत” इतना रह गया अर्थात् पृथिवी के समस्त परमाणुओं में सो पृथ्वी के भ्रमण में उदयास्त की प्रतीति आकर्षणशक्ति है ? या पृथिवीके केन्द्रस्य ही हेतु माना जाय तो यह हेतु व्यभिचारी है। परमाणु में ही आकर्षण शक्ति है ? .
क्योंकि जो पृथ्वी स्थिर होय और यदि पृथवी के केन्द्रस्थ परमाणु में ही ज्योतिषचक्र चलायमान होय तो भी उदय आकर्षणशक्ति है, तो पृथ्वी के ढलवां स्थल में और अस्त में किसी प्रकारकी बाधा नहीं रक्खी हुई पत्थर की गोली दुलकनी नहीं आ सकती।
चाहिये, किन्तु उस ही स्थान पर ठहरी रहनी
चाहिये क्योंकि जिस प्रदेश में पत्थरकी गोली इस प्रकार पृथ्वी के गतिमती होने में रक्खी है उस प्रदेश से पृथवी के केन्द्रतक जो हेतु दिये गये हैं, उनके हेत्वाभास होने जितनी रेखा खीची जांयगी उन सब रेखाओ से पृथ्वी गतिमती नहीं है । अब आगे से छोटी रेखा उन दोनों बिन्दओं के बीच पृथ्वी की आकर्षण शक्ति के विषय पर कुछ की सरल रेखा होगी। विवेचन किया जाता है ।
___आकर्षण शक्ति का यह नियम है कि पश्चिम देशके एक फिलोसोफर साहबने जितनी कम दूरी पर आकय पदार्थ होगा एक बार आमके वृक्षसे आम टूटकर पृथ्वी उतना ही अधिक आकर्षण शति का प्रयोग पर गिरते हुए देखा तो उस ही समय आप के . होता हैं और आकय पदार्थ जितनी अधिक दिमाग से पृथ्वीके आकर्षण शक्तिके अपूर्व दूरीपर होता है आकर्षरी शक्ति का प्रयोग सिद्धांतका आविष्कार हुआ, इस आविष्कार उतरना ही कम होता है। के होते ही आपकी तीक्ष्ण दृष्टि सूर्य की इस लिये पृथिवीके केन्द्रस्थान से पत्थरकी तरफ गई । दृष्टि के पहुंचते ही सूर्य में भी गोली तक सरल रेखा द्वारा पहुची आकर्षण आकर्षणशक्ति का सिद्धांत प्रादुर्भूत हुआ । शक्ति का ही अधिक प्रयोग होकर वह गोली अब देर क्या थी ? सूर्य और पृथ्वी दोनों जहां, की तहां स्थिर रहनी चाहिये, परन्तु एक दूसरे को आकर्षण करने लगे और पृथ्वी वह वहां पर स्थिर न रहकर ढाल की तरफ सूर्य के चारों तरफ घूमने लगी इस प्रकार दुलक जाती है। पृथ्वी तथा सूर्य की आकर्षण शक्तिरुप हेतु इस से सिद्ध होता है कि पृथिवी में से पृथ्वी की गती सिद्ध करते हैं। आकर्षण शक्ति नहीं है।
परन्तु यह हेतु असिद्ध नामक हेत्वाभास यदि दूसरा पक्ष माना जाय अर्थात है क्योंकि पृथ्वीमें आकर्षण शक्ति है ही पृथिवी के समस्त परमाणुीं में आकर्षण नहीं ।
यति है सा ठीक नहीं हैं।
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