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दृष्टिसीमा के लगभग पहुंचे उस समय से कल्पना करा कि पृथ्वी एक स्थान में लगाकर जब तक उस जहाजका दीखाना स्थित है, उस पर एक प्रकार के वृत्त तो बिलकुल बंद न हो जाय तब तक उस जहाज के पूर्व से पश्चिम दिशा और दूसरे प्रकार फोटो लिये जावें । तो यदि इन फेाटाओं के वृत्त दक्षिण से उत्तर जाती हुह रेखा से के अंतिम फेाटो में केवल मस्तूल के झंडेका बने हैं । ये वृत्त परस्पर एक दूसरे को जहां ही फेाटो आवे, तो यह विषय पुनः विचा- काटते हैं वहां समकोन बनाते हुए काटते हैं । रणीय होगा ।
___अब यहाँपर प्रश्न यह है कि, हेतु में - परीक्षा-प्रधानी भाइयों से हमारी प्रार्थना जिस समकोन बनाती हुई रेखा पर विना हैं कि, वे ऐसे फेाटो लिये जानेका प्रयत्न मुड़े गमन करते २ गमन प्रारंभ के स्थान करें और उनकी एक २ कोपी हमारे पास पर पहुंचना बताया गया है वह रेखा पूर्व भी भेजने की कृपा करें।
पश्चिम की इष्ट है या दक्षिण उत्तर की ? ___परन्तु इस विषय में एक बात ओर भी यदि पूर्व पश्चिम की रेखा इष्ट है, तब विचारणीय है, जिसका कि उल्लेख पाश्चात्य तो हेतु व्यभिचारी है। क्योंकि इसकी विद्वानों ने जागरफी में किया है, पश्चात् विपक्ष में वृत्ति जाती है । पृथ्वी भागपर पृथ्वी जाति के और जल - इसका खुलासा इस प्रकार है कि यदि जाति के नीचे २ स्थूल २ और उपर २ सूक्ष्म पृथ्वी चपटी होय और उसके बीच का कुछ स्कन्ध विचरा करते है स्थूल स्कध दृष्टि हिस्सा ऊभरकर गुडके भेलेके आकार हो प्रतिबन्धक होते है, परंतु सूक्ष्म स्कंध दृष्टि जाय, अर्थात् उसका गोल भाग ऊपर की प्रतिबन्ध नहीं करते हैं। इस कारण से भी सम्भव तरफ होय, और चपटा भाग जमीन से है कि दूरवसती जहाज का नीचला भाग चिपटा तो उस ऊपर के गोल भाग (half नहीं दीखता और उपरी भाग दीखता है। Sclid) पर जो पूर्व पश्चिम रेखा के वृत्त · पृथ्वी के गेंद सम गोल होनेमें पाश्चात्य बनेगे वे पूर्ण वृत्त बनेगे और दक्षिण उत्तर विद्वानांने दूसरा हेतु इस प्रकार दिया है कि, की रेखाके अपूर्ण वृत्त बनेगे । और जहां । पृथ्वी गेंद के समान गोल है, क्योंकि पर ये वृत्त दूसरे को काटेंगे वह! समकान एक स्थान से समकोण बनाती हुई रेखापर बनाते हुए काटेंगे । विना मुडे गमन करता हुआ पुरूष कुछ इस लिये चपटी पृथ्वी के इस प्रकार कुछ कालमें उस ही स्थान पर आ जाता उभरे हुए भाग के पूर्व पश्चिम रेखा से बने है जहां से कि उसने चलना प्रारंभ किया था। हुए वृत्त पर बिना मुहे गमन करने वाला
परन्तु यह हेतु भी हेत्वाभास है। पुरुष भी कुछ काल में उस ही स्थान पर उसका खुलासा इस प्रकार है गेंदके समान पहुंच सकता है, जहां से कि उसने चलना गोल (Solid) पदार्थ पर दो प्रकार के वृत्त प्रारंभ किया था इस लिए विपक्ष में वृत्ति (Circlc) खींचे जा सकते हैं।
होने से हेतु व्यभिचारी है ।
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