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गोल और गतिमती कहते हैं, किन्तु जैनी पृथ्वी को चपटी और अचल मानते है ।
इस लेख में हम को इस विषय का विवेच करना है कि पाश्चात्य विद्वानों ने पृथ्वी की गति तथा गेंदके समान गोलाई में जो हेतु दिये है वे कहां तक सत्य है ?
परोक्ष पदार्थों का निर्णय न्याय शास्त्र के अनुसार अनुमान प्रमाण से होता है । इस लिये अनुमान प्रमाणका संक्षिप्त स्वरूप यहां लिखना उचित प्रतीत होता है ।
वादीको जिस पदार्थ के सिद्ध करने की अभिलाषा होती है, उसको साध्य कहते हैं । साध्य के बिना जो न पाया जाय, उसको साधन कहते हैं ।
साध्य साधन के इस अविनाभाव संबंध को व्याप्ति कहते हैं ।
साधन से साध्य के ज्ञानको अनुमान कहते हैं ।
जिसमें साध्यकी सिद्धि की जावे, उसको पक्ष कहते हैं ।
जहाँ साध्यके सद्भावका निश्चय होय उसको सपक्ष कहते हैं ।
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जहां साध्य के अभावका निश्चय होय उसको विपक्ष कहते हैं ।
पक्ष और साध्य के वचन को प्रतिज्ञा कहते हैं ।
साधन के वचन को हेतु कहते है । व्याप्त पूर्वक दृष्टान्त के वचनको उदाहर कहते है ।
व्याप्ति के सम्प्रति पति (वादि प्रतिवादि बुद्धिसाम्य) प्रदेश को दृष्टान्त कहते हैं ।
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जहां हेतु के सद्भावमें साध्यका सद्भाव दिखाया जावे, उसको अन्वय दृष्टान्त कहते है । मिध्या हेतु को हेत्वाभास कहते है । हेत्वाभास के चार भेद है - १ असिद्ध, २ विरुद्ध, ३ अनैकान्तिक और ४ अकिचित्कर |
अनिश्चित या संदिग्ध हेतु को असिद्ध हेत्वाभास कहते हैं ।
साध्य विपरीत पदार्थ के साथ जिसकी व्याप्त होय उसको विरुद्ध हेत्वाभास कहते है ।
पक्ष, सपक्ष और विपक्ष इन तीनों जिसकी वृत्ति होय, उसको अनैकान्तिक अर्थात् व्यभिचारी हेत्वाभास कहते हैं ।
तु को अकिंचित्कर हेत्वाभास कहते है । अकिंचित्कर हेत्वामास के दो भेद है अर्थात् सिद्धसाधन और बाधित विषय । जिसका साध्य प्रमाणान्तर से सिद्ध होय उसको सिद्ध साधन कहते है ।
जिसका साध्य प्रमाणान्तर से बाधित हो उसको बाधित विषय कहते हैं ।
इस प्रकार अनुमान का संक्षिप्त स्वरुप कहकर आगे इस विषयकी परीक्षा की जाती है कि पाश्चात्य विद्वानों ने पृथ्वीकी गति और गेंद सम गोलाइ में जो हेतु दिये है वे समीचीन हेतु है या हेत्वाभास हैं ? उक्त दोनों' विषयों में से पहले पृथ्वीकी गोलाई पर विचार किया जाता है ॥
पाश्चात्य विद्वानों ने पृथ्वी की गेंद समान गोलाई में प्रथम हेतु का उल्लेख इस प्रकार किया हैं पृथ्वी गोल है क्योंकि समुद्र में दूर से आते हुए जहाज का सबसे पहले मस्तूल दिखाई देता हैं । और ज्यों ही जहाज
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