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अतः इसे मति - विभ्रम ही कहेंगे, बास्त विक नहीं । इतना ही क्यों, यदि कोई वैज्ञानिक विषुवत रेखा के ऊपर से उत्तर ध्रुव होकर अमेरीका में जाय तथा वहांसे दक्षिण ध्रुवमे होता हुआ वापस विषुवत रेखा पर आ जाय तथा यह कहा जा सकता है कि "जिस स्थान से यात्रा आरंभ की गई थी वहीं वापस लौट आये है ।"
हम अपनी ओरसे पृथ्वीके गोलाकार
के सम्बन्ध कतिपय तर्क और प्रस्तुत करते हैं, जिनसे स्पष्ट हो जायगा कि वर्तमान वैज्ञानिकों द्वारा घोषित भूगोलका गोलाकार एक समस्या ही है ।
(१) दिनांक ३०-८-१९०५ की जो सूर्य प्रहण हुआ था, वह पश्चिमी उत्तरी अफ्रीका, उत्तरी अन्ध महासागर, ग्रीनलैण्ड, आईसलेण्ड, उत्तरीएशिया, साईबेरिया, और ब्रिटिश अमेरीका सम्पूर्ण भागों में दिखाई दिया था तो अमेरीका और एशिया में यह ग्रहण एक साथ कैसे दिखाई दिया ?
(२) उत्तर में जिस अक्षांश पर जितने समय तक उषाकाल रहता है दक्षिण में भी उसी अक्षांश पर उतने ही समय तक उषाकाल रहना चाहिए, किन्तु वैसा होता नहीं है ।
क्योंकि उत्तर में ४० अक्षांश पर ६० मिनिट तक उषाकाल रहता है तो वर्ष के उसी समय भूमध्य रेखाके पास १५ मिनट और दक्षिण में उसी ४० अक्षांश पर स्थित मेलबोर्न, आस्ट्रेलिया आदि में केवल ५ मिनिट ही काल रहता है, ऐसा क्यों ?
(३) पादरीफादर
विन्स्टनने
दक्षिण
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अक्षांशकी साहसिक यात्राकी रिपोर्ट में लिखा है कि
यहां उषाकाल और सन्ध्याकाल केवल ५-६ मिनटके लिए होता है । जब सूर्य क्षितिज पर पहुंचता है, तभी हम रात्रिका प्रबन्ध कर लेते है, क्योंकि यहां सूर्यास्त के साथ ही तत्काल अन्धकार पूर्ण रात्रि हो जाती है । यह कैसे हो सकता है ? उत्तर और दक्षिण के अक्षांशो पर प्रभात और सन्ध्याकाल समान होना चाहिए ।
(४) केप्टन जे. रास. ई. सन् १८३८ में केप्टन फ्रीशियर के साथ दक्षिणकी और अटलांटिक सर्कल में जितनी दूर पहुंचा जा 1 सकता था वहां तक वह गया । और उन्हे वहां ४०० से लेकर १००० फूट तककी ऊंची एक पक्की बर्फ की दीवाल मिली थी ।
उस दीवाल का ऊपरी भाग समतल था उसपर कोई गढडा अथवा दरार भी नहीं थी । उसपर वे चलते ही गये और चार वर्ष तक सतत चलते रहे जिससे वे चालीस हजार मीलकी यात्रा कर चुके थे। इतना चल लेने पर भी उसका अन्त नहीं आया, तो यह कैसे हुआ ?
इस अक्षांश पर पृथ्वीकी १०७०० मीलकी है तो ४ वर्ष कर की गयी इस यात्रा से क्या क्या ज्ञात होता है ? यही कि पृथ्वी गोल नहीं है ।
परिधि कैवल
सतत चल
(५) कर्क रेखा एक अंश ४० मील मकर रेखा ( २३||
( २३ || अंश उत्तर ) का माना जाता है, जबकि अंश दक्षिण) का वही अंश ७५ मीलका ताप सूचित करता है ।
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