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(इ) पृथ्वी पर मध्यलोक का संक्षिप्त विवरण सम्भव नहीं८ । इसलिए मानुषोत्तर पर्वत
इस पृथ्वी के मध्य भाग में 'जम्बदीप' के पूर्व तक, अढाई द्वीप में मनुष्य क्षेत्र स्थित है, जिसका विस्तार एक लाख योजन (मनुष्य-क्षेत्र) की मर्यादा मानी गई है। (लम्बाई-चौड़ाई) है४ । इसे सभी ओर से मानुषोत्तर पर्वत १७२१ योजन ऊंचा, तथा (वलयाकार) घेरे हुए दो लाख योजन विस्तार मूल में १०२२ योजन चौड़ा हैं९ ।। (लम्बाई) वाला तथा १० हजार योजन मध्य लोक के ठीक मध्य में एक लाख चौड़ाई वाला लबणसमुद्र है५ । इसी योजन विस्तृत, तथा सूर्य-बिम्बवत् वतुलाप्रकार एक दूसरे को घेरते हुए, क्रमशः धात कार जम्बूद्वीप हैं१ । इस द्वीप को विभाजित कीखण्ड द्वीप, कालोद समुद्र, पुष्कर द्वीप, पुष्करोद करने वाले, पूर्व से पश्चिम तक फेले हुए समद्र, वरुणवर द्वीप वरुणवर समुद्र, क्षीरवरद्वीप, (लम्बे) छः वर्ष धर पर्वत है:२-(१) हिमवान् क्षीरोद समुद्र, घृतवर द्वीप, घृतवर समुद्र, ८. ति० प० ४।२९२३, सर्वार्थ सिद्धि-३/३५ क्षोदवर द्वीप, क्षोदवर समुद्र, नन्दीश्वर द्वीप,
तक सू० ३।१४ (श्वेता० स०), हरिनन्दीश्वर वर समुद्र आदि असख्यात द्वीप
वश पु० ५।६११-१२, श्वेताम्बर मत समुद्र हैं ! सब के अन्त में असंख्यात
में क्रियलब्धि-सम्पन्न तथा चारण योजन विस्तृत स्वयम्भूरमण द्वीप है६ ।।
मुनि मानुषोत्तर पर्वत के पार भी, जा पुष्कर द्वीप को मध्य में से दो भाग
सकते है। (मानुसुत्तरपव्वयं मणुया ण करता हुआ मानुषोत्तर पर्वत है,७ जिसके
कयाइ वीइवइंसु वा वीइयवति वा वीइवइआगे मनुष्यों का सामान्यतः · जाना-आना स्सति वा णण्णत्थ चारणेहिं वा देवकम्मुणा ४. ति० प० ४/११, लोकप्रकाश-१६/२२,
वा वि-जीवाजीवाभि० सू० ३।२।१७८,) हरिवंश पु० ५/३, त० सू. ९/८ पर
किन्तु हरिवंश पु० (दिग०) ५।६१२ में श्रुतसागरीयवृत्ति, स्थानांग-१।२४८, जम्बू- समुद्घात व उपपाद में ही इस पर्वत द्दीव पण्णत्ति (श्वेता०) ७/१७६, सम
के आगे गमन बताया है । वायांग-१।४ जीवाजीवाभिगम-३।१२४, ९. हरिवंश पु० ५/५६१-६३, जीवाजीवा० ५. ति० प० ४।२३९८, ४/२४०१, जीवा- ३/२/१७८, स्थानांग-१०।४० बृहत्क्षेत्रजीवा० ३।२।१७२,
समास-५८३-८४. ६. त्रिलोकसार-३०४-३०८, त० सू० ३८ १. स्थानांग-१।२४८, त्रिलोकसार-३०८, त०
पर श्रुतसागरीयबृत्ति, लोकप्रकाश-१५। सू. ३।९ पर श्रुतसागरीय वृत्ति, २३-२७, जीवाजीवा० ३।२।१८५, हरि- २. त० सू० ३।११, ति० ५० ४।९४, लोकवंश-पु० ५।६२६,
प्रकाश-१५।२६१-२६३, स्थानांग-६।८५, ७. हरिवंश पु० ५।५७७, ति० ५० ४।२७ ७५१, जम्बूद्वीप (श्वेता०) ६।१२५,
४८, बृहत्क्षेत्रसमास-५८२, ५८७, बृहत्क्षेत्रसमास २२,२४,
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