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________________ ष्ठित है१ । प्रत्येक पृथ्वी को ये वातवलय वल- (१) रत्नप्रभा पृथ्वी का खर भाग (१६याकार रुप से वेष्टित किये हुए है । पृथ्वी हजार योजन का)५ । को. घनोदधि, घनोदधि को धनवात, धनवात (२) ,, पंक भाग (८४ हजार योजन) को तनुवात वेष्टित किए हुए है ।२ (३) ,, अब्बहुल भाग (८० हजार योजन) .. रत्नप्रभा पृथ्वी के तीन काण्ड (विभाग) रत्नप्रभा पृथ्वी का समस्त बाहल्य (मोटाई) हैं,—(१) खर, (२) पंक, (३) अब्बहुल३ । एक लाख अस्सी हजार योजन फलित इनमें खरकाण्ड के १६ विभाग है४ । इस प्रकार होता है।६ प्रथम पृथ्वी और द्वितीय पृथ्वी के मध्य (४) (पृथ्वी के नीचे) धनोदधि वातवलय निम्नलिखित प्रकार से (ऊपर से नीचे की (२० हजार योजन मोटा) ७ (सर्वाऔर) स्थिति समझनी चाहिए : धिक सघन) १. हरिवंश पु० ४/४२, ४/३३, तिलोय धनवातवलय (तनुवात वलय की १/२६८-६९, त० सू० भाष्य-३/१, ठाणांग तुलना में अधिक सघन) (२०३/२/३१९, ७/१४-२२, ८/१४,२/३/५०२, हजार योजन मोटा)७ लोक प्रकाश-१२/१७७-१७८, ज्ञानार्णव तनुवातवलय (घनोदधि व घनवात ___३३/४-७, जीवाजीवाभिगम, सू० ३/१ की तुलना में अत्यन्त सूक्ष्म व ७१-७६, पतला) (२० हजार योजन मोटा) (७) आकाश २. रत्नप्रभा आदि सातों पृथ्वियां ऊर्ध्व दिशा ... को छोड कर शेष नौ दिशाओं में घनो- ५. लोकप्रकाश-१२/१६९-७० तिलोय प० २/९, दधि से छूती है, आठवीं पृथ्वी दसों जंबूद्दीव पण्णत्ति (दिग०) ११/११६, दिशाओं में घनोदधि से छूती है (तिलो- ६. हरिवंश पु० ४/४७-४९, लोकप्रकाश-१२/यप-२/२४)। १६८, जीवाजीवा० सू० ३/१/६८, __ वातवलयों के परिमाण आदि की ७. प्रत्येक वातवलय (वायुमण्डल) की मोटाई जानकारी हेतु देखें-लोकप्रकाश-१२/७९. वीस हजार योजन है (त्रिलोकसार-१२४, १९०, त्रिलोकसार १२३-१४२, तिलोय तिलोय० ५० १/२७०) । श्वेताम्बर परप० १/२७०-८२, म्परा में घनोदधि की मोटाई (मध्यगत ३. तिलोय ५० २/९, त्रिलोकसार-१४६, बाहल्य) वीस हजार योजन, धनवात एवं जीवाजीवाभिगम, सू० ३/१/६९, ठाणांग- तनुवात की असंख्य सहस्त्र योजन मानी १०/१६१-१६२, गई है जीवाजीवाभिगम सू० ३/१/७२, ४. तिलोय प० २/१०, जीवाजीवा सू० ३/१- लोकप्रकाश-१२/१८०, १८३, १८९) । ६९, ठाणांग-१०/१६३, लोकप्रकाश-१२/- प्रत्येक वातवलय के विष्कम्भ (प्रत्येक १७१, पृथ्वी के पाश्वा भाग में मोटाई) के . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005569
Book TitleJambudwip Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Pedhi
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year
Total Pages250
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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