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आधुनिक आठ हजार मील की दुनिया है ।
वर्तमान पृथ्वी (८००० मील) है, पूर्व पश्चिम ओर उत्तर एसी विशाल तीनों भागो में विशाल पृथ्वी है । जिस पर छोटे बडे अनेक पर्वत, नदीएं, गुफाएं और विविध जंगल आदि हैं ।
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व्योमयात्रियों द्वारा किये गये निवेदनों में उपर बताये गये शब्द किसी अज्ञात पर्वतका अवलोकन व्यक्त करते हैं । क्यों कि खंदरे, छोटे बडे शिखर, रेत के ढेर पत्थरमिट्टी का रंग, ज्वालामुखी आदि बातें पर्वतीय प्रदेश की जानकारी देती है । यही कारण है कि व्योमयात्रियों के निवेदन की संगति चन्द्रलोक के साथ नही बैठती । चूंकि परस्पर-विरोधी निवेदन तथा चन्द्र सम्बन्धी वैज्ञानिक धारणाओं की अनिश्चितता, गुरुत्वाकर्षण तथा चन्द्र की रचना के संबंध में अब तक वैज्ञानिकों में कोई एक मत नहीं है और बहुधा कल्पनाओं एवं अनुमानो के आधार पर काम लिया गया है । अतः एपोलो की गति - विधि भी संदिग्ध हो तो इस में आश्चर्य नहीं होना चाहिये) ही क्या ? पूज्य मुनिराज श्री ने गणित के आधार पर भी एपोलो यानों का चन्द्र पर पहुंचना असत्य ठहराया है । इस सम्बन्ध में और अधिक स्पष्ट करते हुए उन्होंने लिखा है—
(१) पृथ्वी से चन्द्रमा तक का अन्तर आनुमानिक -गणित के आधार पर निश्चित किया गया है । ट्रिग्नोमेट्री (त्रिकोणमिति) के सिद्धांतानुसार किसी भी त्रिकोण के दो भागों का ज्ञान हो तो तीसरा भाग का ज्ञान सरलता से हो सकता है, किन्तु भौतिक स्थूल
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पर
अन्तरवाले पदार्थों के लिये यह सिद्धांत सफल माना जा सकता है । इसी आधार गणनातीत अन्तर में स्थित आकाशीय पदार्थों को मापने का प्रयास - मेरे घर का चूल्हा दरवाजे से इतनी दूर है, इसी प्रकार सामनेवाले घर में भी दरवाजा दिखाई देता है, तो वहां से चूल्हा इतनी दूर होगा, इस प्रकार की गणनावाली चेष्टा ही है ।
(२) पृथ्वी के एक कोण से तारा अथवा चन्द्र का दर्शन करके, इतने समय में पृथ्वी इतनी घूमी, यह कोण हुआ, इस लिये यह तारा अथवा चन्द्र इतनी दूर है ? इस प्रकार समझाना केवल कागज़ और कलम की लीला है; वास्तविक - सत्य नहीं । क्यों कि जैसे जैसे पदार्थ दूर होता है वैसे वैसे ही उसके साथ कोण बहुत छोटा होता है ओर उस कोण का मूल्य आज के मैथेमेटिकल अथवा लोगरीधम गणित के किसी टेबल, चार्ट अथवा कोष्टक में नही मिलता है । अतः कतिपय गणित के आंकड़े कागज पर बनाकर उन के आधार पर निश्चित किये गये गणित से आकाशीय पदार्थों का अंकन संभव नही है ।
वस्तुतः उदय और अस्त के समय ही पूर्णिमा की रात्रि में १७,०१,४६,९०० मील दूर चन्द्र होता है । मध्य रात्रि में ३१,६८००० मील दूर होता है तथा अमावस्या के दिन उदय और अस्त के समय १६,३१,८८००० मील दूर चन्द्र होता है । ऐसे सीमातीत अंतर पर स्थित चन्द्र को भौतिक स्थूल पदार्थों के अंतर को दिखानेवाले ट्रिग्नोमेट्री गणित के स्थूल सिद्धांतों से मापने की प्रवृत्ति
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