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का रहना कापि सम्भव नहीं है। कदाचित् क्रमा करने में २ घंटे और २. मिनट लगे कोई कारण होता भी कुछ समय के बाद थे, तब आधी परिक्रमा में एकघंटा ओर उनका शोषण होना स्वाभाविक ही है । अतः एक मिनट लगना चाहिये, एसी स्थिति में खिडकियों पर कुहरे और ओस का कथन चन्द्रमा के पिछले भाग में केवल दस मिनट व्योम-यात्रियों ने केसे किया यह तथ्य भी ही रहे यह कैसे ? विचारणीय है।
(१६) दि. २६-१२-६८ के निवेदन में (१३) दि. २५-१२-६८ के निवेदन में बताया गया है “पृथ्वी पर स्थित नियंत्रण व्योम यात्री एण्डस ने कहा है "मेरे कक्षा (केबिन) से यह सूचना दी गइ थी दाहिनी ओर पर्वत है, इस कक्षा में जो कि उन्हें अन्य कोई सूर्योदय दिखाइ दे तो दृश्य है, उससे मुझे निराशा हुई है ।" उसका विवरण तथा तारों पर दृष्टि रखकर
इस निवेदन में 'निराशा' शब्द क्यों है? सूर्य की किरणों से उनपर कोई चमक चन्द्र के प्रस्तुत वर्णन की अपेक्षा उन्होंने कुछ आती है या नहीं" आदि बातों की सूचना भिन्न ही वहां देखा होगा ? ऐसा प्रतीत दें । तब अंतरिक्ष-यात्रियों ने कहा किहोता है।
"अभी हमने यह सब विवरण हमारे पास (१४) दि. २८-१२-६८ के निवेदन में संभाल रखा है और पृथ्वी पर वापस लौटने कहा गया है "अवकाशयान की एक खिडकी के बाद हम इस पर एक अभ्यास पूर्ण बर्फ से ढक गई है, जिससे देखा नहीं जा टिप्पणी प्रस्तुत करेंगे।" सकता ।" किन्तु चन्द्र की द्वितीय परिक्रमा इससे प्रतीत होता है कि उन्हों ने वहां कुछ करते समय किये गये इस निवेदन से एक और ही नवीन दृश्य देखा होगा । यह भी हो प्रश्न उठता है "कि आकाश में बर्फ कहां से कि उसकी वास्तविकता वैज्ञानिकों की धारणासे आया ?"
सकता है कुछ विपरीत रही होगी? यह ___ (१५) दि. २५-१२-६८ के निवेदन में प्रश्न भी स्वाभाविक हैं और गंभीरता से कहा गया है "व्योमयात्री चन्मा के पिछले विचारणीय है। भाग में दस मिनट तक रहे और इसी
(१७) एपोलो-८ ने दि. २४-१२-६८ को बीच रोकेट चालू किया गया जिसे चालू
चन्द्र के आसपास दो घंटे और एक मिनट होने में चार मिनट लागी तथा उसके बाद
में एक बार एसी यह परिक्रमाएं करना
आरम्भ किया और दि. २१-१२-६८ को प्रचण्ड धडाके के साथ १,६०००० पौण्ड का
शाम को ६ बजकर १५ मिनिट पर छूटे हुए इंधन प्रयोग में आया ।" चन्द्रमा की परिक्रमा एक घंटे में लगभग वाली ऐसी दो परिक्रमाए पृथ्वी के आसपास
एपोलों यान ने ९० मिनट में एकवार होने ३६२० मील की गति से की गई ऐसा की, यह कैसे हुआ होगा ? क्योंकि पृथ्वी दिनांक २४-१२-६८ के निवेदन में कह की अपेक्षा चन्द्र उसका चतुर्थाश जितना ही गया था, तदनुसार चन्द्रमा की पूरी परि- है, तो उसकी परिक्रमा करने समय एपोलो
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