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सभी में हम यहां से चन्द्र को जैसा न्ध में कोइ महत्त्वपूर्ण विवरण प्रकाशित देखते हैं पैसा ही दृश्य दिखाई देता है, नहीं किया है। इससे स्पष्ट है कि
___ एपोलो-५१ के दिगन्तव्यापी विराट सिद्धि ___यदि एपोलो वस्तुतः चन्द्र पर पहचा मिल जाने की घोषणा के पश्चात् भी रुस होता तो यहां से हम चन्द्र को देखते है, का रहस्य पूर्ण मौन निश्चय ही किसी तथ्य उतनी ही पृथ्वी वहां से क्यों दिखाई देती ? को छिपाये हु है । चन्द्र की अपेक्षा चौगुनी बडी पृथ्वी का दृश्य (८) चन्द्र की उत्पत्ति, चन्द्र और पृथ्वी चित्र में क्यों नहीं ?
का अन्तर तथा चन्द्र का वातावरण अथवा इस लिये नैज्ञानिकों ने "चन्द्र तल से जीव सृष्टि सम्बन्धी धारणा आदि के सम्बपृथ्वी का उदय" शीर्षक द्वारा इस दृश्य को न्ध में विज्ञानने आज तक निश्चित रूप से घटाया जरुर है किन्तु वास्तव में यह चित्र कुछ स्पष्ट नहीं किया हैं। इसी बीच कुछ पैज्ञानिकों ने २॥ लाख मील तिरछा पहुचने पर
काल्पनिक रुप में स्वीकृत मान्यताओं के आधार लिया हो और वहां से जैसा चन्द्र दिखाई पर की गइ एपोलो यात्रा वास्तव में सत्य के दिया हो उसका होना सम्भव हैं।
कितनी निकट हो सकती है । यह भी (तटस्थ
भावसे) गम्भीरतापूर्वक विचारणीय है। परन्तु विज्ञान की स्थापित मान्यतानुसार
बहुत ही गभीरतापूर्वक विचार करने पर पृथ्वी से २॥ लाख मील दूर चन्द्र के होने ।
___ यह भी ज्ञात होता है कि सामूहिक रुप से की स्थापित धारणा के अधीन बंधे हुए गैज्ञा
भारतीय प्रजा के सांस्कृतिक तत्त्व को क्षीण निकोंने इसका दूसरा ही अर्थ घटाया है। .
करने के लिये विदेशी शासकों को कूट नीति . (६) एपोलोयान जिस स्थान पर उतरा के आधार पर सुनियोजित यह कार्यक्रम है। है, वहां से पत्थर, मिट्टी, कंकर, गीलापन क्योंकि प्रत्यक्ष रुप से विदेशीजन भारत से आदि होने से भी वह कोई पवतीय प्रदेश बिदा हो कर भी सांस्कारिक रुप में विचारों को भी है, ऐसा स्पष्ट होता है।
दूषित करने वाले तत्त्वों के बीज गहराइ से चन्द्र का विमान तो दिव्य रत्नों से बना छोड गये है, तथा समय समय का प्रचार हुआ है।
. प्रसार के बल पर उस बीज को सींचते रहते ... (७) अमेरिका और रुस दोनों एक दूसरे है, जिस के परिणाम स्वरुप आज उनकी के प्रतिस्पर्धी हैं, आकाश के क्षेत्र में रुस दो पद्धति से शिक्षित नवीन भारतीय प्रजा स्वयं चरण आगे था और है । अमेरिका का एपोलो विज्ञानवाद ही चकाचौंध के क्षण अपने ही आकाश संशोधन के क्षेत्र में हैं जबकि रुस मुख से अपनी अनमोल संपत्ति रुप शास्त्रो का ल्यना १५ था, वह ल्यूना १५ भी एपोलो को निरर्थक और काल्पनिक मानने लग गइ है। ११ के साथ ही चन्द्र पर पहुंचा एसा कहा एपोलो यात्रा भी इस प्रकार को कूटजाता है, किन्तु रुस ने ल्यूना १५ के सम्ब- नीति का अंग है । एसा लगता है तो कोई
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