________________
(१०) नो त्याग करे अने पोतानी स्त्रीनी मर्यादा करे, पांचमे व्रतेपरिग्रहनी मर्यादा करे,हे व्रते दिशानी मर्यादा करे,सातमेव्रतेपन्नर कर्मादाननीमर्यादा करे, श्रावमे व्रते अनर्थ दमनी मर्यादा करे,नवमे व्रते सामायिक करे,दशमे व्रते देशावकाशिक करे,अगीयारमे व्रते पो. सह उपवास करे, वारमे व्रते साधु मुनिराजने सूजतां शुक श्राहार पाणी थापे, एवं बार व्रत जाणवां ॥
२३ त्रेवीशमे बोले साधुनां पांच महाव्रत कहे जे. साधुजी मने,वचने,कायाए करी को जीवने सर्वप्रकारे पोते हणे नहीं, हणावे नहीं अने हणताने रुडं जाणे नहीं,ते प्रथम प्राणातिपातविरमणव्रत जाणवू.
॥साधु महाराज मने, वचने, कायाए करी सर्व प्रकारे पोते जूतुं बोले नहीं, बीजाने जूतुं बोलावे नहीं श्रने जूतुं बोलताने रुठं जाणे नहीं, ते बीजें मृषावाद विरमणवत जाणवू ॥
॥साधुजी मने, वचने, कायाए करी सर्व प्रकारे पोते चोरी करे नहीं, बीजा पासे करावे नहीं आने करत प्रत्ये अनुमोदे नहीं, ते त्रीजुं अदत्तादान विरमणव्रत जाण ॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org